अनोखी पहल: जन सहयोग से संवरा सरकारी स्कूल, पढ़ाई के साथ वातावरण में आया बदलाव

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पढ़ाई करते हुए शासकीय स्कूल के बच्चे 

राजनांदगांव जिले में पार्षद और जन सहयोग से एक स्कूल का कायाकल्प किया गया। जिसके चलते अब पढ़ाई आकर्षक होने के साथ ही वातावरण में भी बदलाव हुआ है।

राजनांदगांव। कुछ बेहतर करने की सोच अगर हो तो काम आसान होते चले जाते हैं। कुछ ऐसा ही उदाहरण छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव जिले के मोहारा वार्ड में शासकीय स्कूल में देखने को मिला है। यहां के पार्षद आलोक श्रोती की पहल से बिना किसी शासकीय मदद के जन सहयोग से शासकीय स्कूल की दशा ही बदल गई।

दरअसल, मोहरा शासकीय प्राथमिक शाला अब बच्चों के लिए स्कूल ही नहीं बल्कि शिक्षा के आकर्षण का केंद्र बन गया है। यहां दीवारों पर शिक्षा संबंधी आकर्षक पेंटिंग बच्चों को स्कूल से जोड़े रखती हैं । कभी उजाड़ दिखने वाले इस स्कूल के फर्श से लेकर छत तक सब कुछ बदल गया है। यह शासकीय स्कूल अब किसी प्राइवेट स्कूल से कम नजर नहीं आता है। स्कूल के नाम के नीचे लिखा कर्म ही पूजा है का स्लोगन यहां अपना सहयोग देने वाले लोगों के कार्यों को दर्शाता है।


कायाकल्प की सोच ने बदली स्कूल की सूरत
शासकीय स्कूल के कायाकल्प की सोच को लेकर मोहरा वार्ड के पार्षद आलोक श्रोती का कहना है कि, पार्षद बनने के बाद पहली प्राथमिकता इस स्कूल की दशा ठीक करनी थी। इस स्कूल की फर्श कई जगह से उखड़ गई थी और फर्श के नीचे पेड़ों की जड़े निकल आई थी। इस फर्श को हटाकर टाइल्स लगाने की सोच आई। ग्रीष्मकालीन अवकाश के भीतर ही यह कार्य करना था, ऐसे में सरकारी मदद में वक्त लग जाता इसलिए जन सहयोग मांगा गया।

शिक्षकों ने दिया वेतन
टाइल्स लगाने का कार्य शुरू करने के दौरान दीवारों पर उखड़ी हुई पुताई देखकर शिक्षाप्रद वॉल पेंटिंग करने की सोच आई और इसका एस्टीमेट बनाया गया तो लगभग 45 हजार रुपए लगने का अनुमान हुआ । इसके बाद जन सहयोग से सभी मदद हुई, किसी ने रेत दिया, किसी ने सीमेंट, किसी ने टाइल्स और पेंट की व्यवस्था कर दी। पार्षद की इस पहल में यहां के शिक्षकों ने भी अपना योगदान दिया। स्कूल की दशा सुधारने के लिए, स्कूल की पेंटिंग और अन्य कार्यों में सहयोग करते हुए शिक्षकों ने अपने वेतन से 6-6 हजार रुपए की राशि दी।


मजेदार हो गई पढ़ाई
शिक्षा को आकर्षक और मजेदार बनाने के लिए स्कूल की दीवारों पर मात्राओं की पहचान चक्र, प्रेरणादायक स्लोगन, हिंदी से अंग्रेजी वर्णमाला उच्चारण, ऋतुओं का परिचय, हिंदी अंग्रेजी से दिन - महीनों के नाम, कंप्यूटर पार्ट्स, सूर्य और चंद्रग्रहण, जल चक्र, खाद्य श्रृंखला, रंगों के नाम पहचान, फल- सब्जियों के चित्रण, आकाश, जंगली और पालतू जानवर, अंग्रेजी - हिंदी में पहाड़ा, गिनतियों, सौर मंडल सहित विभिन्न चित्रण किया गया है, जिससे बच्चों को पढ़ाई में आसानी हो रही है और याद रखने में मदद मिल रही है।

डोम शैड का हुआ निर्माण
अंत में स्कूल परिसर में धूप और पानी से बचने के लिए यहां पर सिर्फ डोम सैड का निर्माण पार्षद निधि से किया गया। अब बच्चों को प्रार्थना के लिए धूप में खड़े नहीं होना पड़ता है । वही बारिश में भी बच्चे इस डोम सैड के नीचे खेल रहे हैं ।


व्हाइट बोर्ड बना आकर्षण
शासकीय प्राथमिक शाला मोहरा में ब्लैक बोर्ड की जगह अब कान्वेंट स्कूल की तरह व्हाइट बोर्ड नजर आते हैं । यहां ब्लैकबोर्ड नहीं बदला बल्कि पढ़ाई की व्यवस्था ही बेहतर हो गई। अब बच्चों को इस वाइट बोर्ड में समझाने के लिए शिक्षक भी अपनी अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं । अलग-अलग रंगों के मार्कर से व्हाइट बोर्ड में लिखकर बच्चों को समझाया जा रहा है जिससे पढ़ाई दिलचस्प बन गई है। शिक्षक भानु प्रताप साहू का कहना है कि ब्लैकबोर्ड में लिखने से चौक का डस्ट काफी उड़ता था। अब साफ सुथरी शिक्षा व्यवस्था हो गई है।

उपस्थित में इजाफा
मोहरा प्राथमिक शाला के प्राचार्य हरिराम साहू ने बताया कि स्कूल में आकर्षक पेंटिंग, बेहतर व्यवस्था, टाइल्स लगने से न सिर्फ स्कूल के वातावरण में बदलाव आया बल्कि बच्चों की उपस्थिति भी शत प्रतिशत हो गई है। पलक जितेंद्र प्रजापति ने बताया कि, अब स्कूल काफी आकर्षक लगता है तो बच्चे भी बच्चे स्कूल आने उत्साहित रहते हैं।


अब कोई नहीं आता नंगे पैर
मोहरा वार्ड श्रमिक बाहुल्य होने के चलते यहां लगभग 130 की दर्जसंख्या में आधे से ज्यादा बच्चे नंगे पैर स्कूल आते थे,जिसे देखते हुए शाला विकास समिति के अध्यक्ष एवं पार्षद ने महापौर मधुसूदन यादव के सहयोग से सभी बच्चों को जूते, मोजे, टाई, बेल्ट वॉटर बॉटल की व्यवस्था कराई अब इस स्कूल में कोई भी बच्चा नंगे पांव नहीं आता है।

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