सरकारी मुआवजा के लिए खेल: दाह संस्कार हुआ कहीं और, मुक्तिधाम की फर्जी रसीद से जारी हुआ मृत्यु प्रमाण पत्र

सरकारी मुआवजा के लिए खेल : दाह संस्कार हुआ कहीं और, मुक्तिधाम की फर्जी रसीद से जारी हुआ मृत्यु प्रमाण पत्र
X

नगर पालिक निगम बिलासपुर (फाइल फोटो 

श्रम विभाग से एक लाख रूपए की सहायता राशि पाने के लिए दलालों ने बगैर दाह संस्कार के सरकंडा मुक्तिधाम की फर्जी रसीद से जारी करवा लिया ।

बिलासपुर। सरकारी योजना के अंतर्गत श्रम विभाग से एक लाख रूपए की सहायता राशि पाने के लिए दलालों ने बगैर दाह संस्कार के सरकंडा मुक्तिधाम की पीली पर्ची भरकर नगर निगम बिलासपुर से फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करवा लिया, जबकि मृतक का मृत्यु प्रमाणपत्र ग्राम पंचायत पिरैया द्वारा चार महीने पहले जारी किया जा चुका था। संदेह के आधार पर श्रम विभाग ने मामले की जानकारी जिला रजिस्ट्रार जन्म मृत्यु विभाग को दी, जिसकी जांच में पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया।

बिल्हा ब्लाक के पिरैया ग्राम पंचायत निवासी लक्ष्मण सतनामी की स्वास्थ्यगत कारणों से 28 अक्टूबर 2024 को शहर के निजी अस्पताल में मौत हो गई थी। मृत्यु के बाद इसका अंतिम संस्कार पिरैया गांव में किया गया, जिसके आधार पर ग्राम पंचायत द्वारा मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया था। मृतक श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिक था, जिसका हर साल दिसंबर महीने में नवीनीकरण किया जाता था। अक्टूबर महीने में मृत हो जाने के बाद भी दिसंबर महीने में किसी ने लक्ष्मण सतनामी का श्रम विभाग में पंजीयन नवीनीकृत करा दिया। श्रम विभाग के अनुसार नवीनीकरण के लिए केवल आवश्यक कागजात जरूरी होता है, संबंधित व्यक्ति का स्वयं उपस्थित होना जरूरी नहीं होता, जिससे मृत होने के बाद भी उसका नवीनीकरण हो गया। मृतक का दो-दो मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाना, मृत होने के बाद भी श्रम विभाग में नवीनीकरण करवाना और उसकी मृत्यु अक्टूबर की बजाए फरवरी माह में होना बताना एक सोची समझी साजिश के तहत किया गया।

इसलिए बनाया दो मृत्यु प्रमाणपत्र
श्रम विभाग में योजना का लाभ लेने के लिए मृत्यु दिनांक से 90 दिनों के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना होता है। इसके बाद आवेदन करने पर पोर्टल आवेदन ही स्वीकार नहीं करता। इस मामले में मृतक की मौत अक्टूबर में ही हो गई थी, जिससे 90 दिनों की अवधि पार हो चुकी थी। इसीलिए शातिर जालसाजों ने फरवरी 2025 की अवधि का दूसरा मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा लिया। यह प्रमाणपत्र बनवाने व पकड़ाने से बचने के लिए दलालों ने मृतक को बकायदा शहर के हेमू नगर का निवासी भी बताया था, लेकिन जालसाजी काम नहीं आ सकी।

पूरी जानकारी नहीं है
नगर निगम जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार सती यादव कि, मृतक का बगैर दाह संस्कार के पीली पर्ची के आधार पर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने का मामला जानकारी में तो है, लेकिन डिटेल फाइल देखकर ही बता पाऊंगा।

निरस्त किया गया है प्रकरण
श्रम निरीक्षक संतोषी ध्रुव ने बताया कि, योजना का लाभ दिलाने वेरीफिकेशन के लिए गांव जाने पर ग्रामीणों व परिजनों द्वारा अलग-अलग मृत्यु दिनांक बताने पर संदेह हुआ था। जन्म-मृत्यु विभाग से कराई गई जांच में फर्जीवाड़ा होना पाया गया है, जिससे मृतक का प्रकरण निरस्त कर दिया गया है।

ऐसे पकड़ में आया मामला
मृतक लक्ष्मण सतनामी श्रम विभाग में निर्माण श्रमिक के रूप में पंजीकृत था। उसकी मृत्यु के बाद किसी ने मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना के अंतर्गत दी जाने वाली एक लाख की सहायता राशि के लिए श्रम विभाग में आवेदन प्रस्तुत किया। सहायता राशि दिलाने से पूर्व वेरीफिकेशन के उद्देश्य से श्रम विभाग की टीम पिरैया गांव पहुंची। यहां उन्होंने ग्रामीणों से दो माह पूर्व मृत लक्ष्मण सतनामी का पता पूछा। ग्रामीणों ने पता तो बताया लेकिन यह भी कहा कि उसकी मृत्यु दो नहीं, बल्कि चार महीने पहले हुई है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story