गरियाबंद जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही: हाईकोर्ट ने कलेक्टर से मांगा निजी हलफनामा, CMHO और सिविल सर्जन को भी नोटिस

अस्पताल में हुई लापरवाही मामले में हाईकोर्ट सख्त
पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गरियाबंद जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट ने जिला कलेक्टर गरियाबंद से निजी हलफनामा मांगा है। सीएमएचओ और सिविल सर्जन को नोटिस जारी हुआ है।जिला अस्पताल में ऐसी चूक दोबारा न हो, इसके लिए उठाए गए उपायों की भी जानकारी देनी होगी।
दरअसल, नर्स की जगह गार्ड ने मरीज को लगाया इंजेक्शन था। मामले को हाईकोर्ट ने इसे प्रणालीगत विफलता और गंभीर लापरवाही बताया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की डिवीजन बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस पर जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई की। अदालत ने कलेक्टर गरियाबंद से स्वयं के शपथपत्र के रूप में विस्तृत जानकारी मांगी है। साथ ही, शासन की ओर से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) और सिविल सर्जन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
क्या है मामला
यह मामला तब सामने आया जब एक पूर्व नगर पार्षद अपने भतीजे के इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचे थे। इलाज के दौरान उन्होंने देखा कि स्टाफ नर्स की जगह एक महिला सुरक्षा गार्ड मरीज को इंजेक्शन लगा रही थी। इस पूरी घटना को कैमरे में कैद कर लिया गया और तस्वीरें वायरल होने के बाद अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर हो गई।
हाईकोर्ट ने माना गंभीर लापरवाही
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि, समाचार रिपोर्ट से स्पष्ट है कि यह न केवल चिकित्सा नैतिकता और पेशेवर मानकों का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी अस्पतालों की प्रणालीगत विफलता को भी दर्शाता है। अदालत ने कलेक्टर गरियाबंद से यह भी पूछा है कि, भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए हैं। गंभीर लापरवाही पर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, सिर्फ नोटिस जारी करना पर्याप्त नहीं है, जब तक दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने और संस्थागत निगरानी को मजबूत करने के ठोस उपाय नहीं किए जाते।
