किसानों का आर्थिक आंकलन: परंपरागत तरीके से धान की खेती करने वाले किसानों की प्रति एकड़ हर महीने मात्र 11 हजार रुपये आमदनी

Paddy cultivation
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सबसे अधिक धान कीमत यहां फिर भी किसान की जेब खाली 

सरकार की पहल पर किसानों को धान का मूल्य सबसे अधिक 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा, धान की फसल से पांच एकड़ खेती की कमाई मात्र 11 हजार 144 रुपए होती है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हर साल खरीफ सीजन में धान की जमकर पैदावार हो रही है, यह उपज लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार की पहल पर किसानों को धान का मूल्य देश में सबसे अधिक 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है, लेकिन ये बात चौंकाने वाली हो सकती है कि राज्य में पांच एकड़ खेती वाले किसान की महीने की कमाई धान की फसल से मात्र 11 हजार 144 रुपए होती है। खास बात ये है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान की खेती का जो आर्थिक विश्लेषण किया है, उससे किसानों की कमाई का यह आंकड़ा सामने आया है।

दरअसल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक बड़ी टीम ने पिछले सीजन में धान के अधिक उत्पादन के लिए उन्नत तकनीक विषय पर गहन अध्ययन किया और अपनी विस्तृत रिपोर्ट में धान की उन्नत खेती का आर्थिक विश्लेषण पेश किया था। इस अध्ययन में मुख्य रूप से यह बताया गया है कि किसान अगर बोता पद्धति से धान लगाता है तो एक एकड़ पर कुल कितना खर्च होता है। उत्पादन कितना और फसल की बिक्री से कितनी राशि मिलती है। इसी तरह से रोपा विधि से धान बुवाई से होने वाली आय का हिसाब-किताब निकाला गया।


रोपा विधि से उत्पादन पर हर माह 15 हजार की कमाई
इसी प्रकार रोपा विधि से बुवाई करने वाले किसानों को एक एकड़ में 25 क्विंटल उत्पादन मिलता है। उसके सभी खर्च 21 हजार 81 रुपए होते हैं। 31 सौ के हिसाब से इस धान की कीमत 57 हजार 500 रुपए होती है। इसमें से खर्च की राशि काटने के बाद किसान को 36 हजार 419 रुपए मिले। अब पांच एकड़ के किसान को इस हिसाब से साल में 1 लाख 82 हजार रुपए मिले। 12 माह में इसे विभाजित करने पर किसान के हाथ महीने में 15 हजार रुपए आते हैं।

बोता विधि से बुवाई खर्च और कमाई का हिसाब
दोनों प्रकार की बुवाई करने पर किसान को गहरी जुताई, खेत का समतलीकरण, मचाई आदि काम करने होते हैं। रोपणी तैयार करने, बीज, बीज उपचार, कीटनाशक, खाद प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन और जल प्रबंधन सहित अन्य जरूरी काम करने होते हैं। इन सारे कामों पर किसान के 19 हजार 254 रुपए खर्च होते हैं। बोता पद्धति से बुवाई पर एक एकड़ में कुल 20 क्विंटल उत्पादन होता है। 3100 रुपए के हिसाब से यह धान 46000 रुपए का होता है। इसमें से बुवाई का खर्च काटने से किसान को 26 हजार 746 रुपए मिलते हैं। अगर किसान पांच एकड़ जमीन का स्वामी हो तो उसे कुल 1 लाख 33 हजार रुपए मिलेंगे। इसे 12 माह में विभाजित किया जाए तो किसान को हर माह 11 हजार 144 रुपए मिलेंगे। हमारे विश्लेषण के हिसाब से बोता पद्धति से बोने वाले पांच एकड़ के किसान की कमाई बस इतनी ही है।

कैसे बढ़ेगी किसानों की कमाई और क्या करना होगा
राज्य में धान की खेती पर यह अनुसंधान और खेती का आर्थिक विश्लेषण करने वाले वाले वैज्ञानिक डॉ. पीके तिवारी का कहना है कि जो किसान सिंगल क्रॉप लेते हैं, उन्हें इतनी ही राशि मिलती है, जो आर्थिक विश्लेषण का आकलन है, लेकिन यही किसान अगर उन्नत या इंटीग्रेटेड खेती करेंगे तो उनका लाभनिश्चित ही बढ़ेगा। अगर किसान की खेत में अरहर, खेखसी जैसी फसल लगाई जाए। मेड़ पर उगने वाली फसल लगाएं तो खेत से चावल के साथ दाल भी मिलेगी। खेतों में रीजनल प्लांट फूलों के लगाएं या साथ ही पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन भी करें तो आय बढ़ेगी। सामान्य धान की जगह किसान धान बीज की खेती करे तो अधिक मुनाफा होगा। किसान अगर सामान्य चावल की जगह सुगंधित धान लगाएं तो कीमत कई गुना अधिक मिलेगी।

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