एक्सपोर्टरों पर संकट: विदेशों में गिरा चावल का भाव, असर सरकारी धान नीलामी पर भी

एक्सपोर्टरों पर संकट
रायपुर। छत्तीसगढ़ से चावल का एक्सपोर्ट करना अब मिलरों के लिए भारी पड़ रहा है। वजह ये है कि विश्व बाजार में मंदी के कारण चावल के दामों में कमी आ गई है। कारोबारियों की मानें तो दो महीने पहले यहां से जाने वाले चावल की कीमत 35 सौ रुपए प्रति 'क्विंटल मिल रही थी, अब वह घटकर 2750 रुपए पर आ गई है। ये भी कहा जा रहा है कि इसका एक बड़ा असर छत्तीसगढ़ में 35 लाख मीट्रिक टन धान की नीलामी प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है, इस धान की अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही है। 1राज्य के चावल एक्सपोर्टर यहां से अपना चावल दक्षिण अफ्रीका भेजते हैं।वहां से यह चावल अन्य देशों में जाता है, लेकिन विश्व बाजार में बन रहे मंदी के माहौल की वजह से चावल की कीमतें गिर रहीं है।
पिछले दो महीनों में कीमत में करीब साढ़े सात सौ रुपए क्विंटल की कमी आ गई है। रेट में कमी के कारण बताया गया है कि राज्य के मिलरों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। खबर ये भी है कि जो माल यहां से दक्षिण अफ्रीका भेजा जा रहा था, कीमत गिरने के कारण उसका उठाव वहां नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से मिलरों को अपना चावल वहां कम दाम पर बेचकर सेटलमेंट करना पड़ रहा है। मौजूदा हालात में मिलर अपने कारोबार के भविष्य को लेकर चिंतित हो रहे हैं।
किसानों को भी नुकसान
एक्सपोर्टर-मिलरों की मानें तो चावल के दाम में आ रही कमी के कारण राज्य के किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जब एक्सपोर्टर को विदेश में चावल की कीमत कम मिल रही है तो जाहिर है किसान के धान की कीमत भी कम ही होगी।
धान नीलामी पर भी असर
जानकारों का ये भी कहना कहना है कि विश्व बाजार में चावल की कीमत कम होने के कारण छत्तीसगढ़ में हो रही 35 लाख मीट्रिक टन धान की नीलामी की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है। कहा जा रहा है कि एक्सपोर्ट में चावल की अच्छी कीमत 'मिल रही होती तो यहां मिलर नीलामी में अधिक कीमत देकर भी धान खरीदते, लेकिन अब उनके हाथ बंधे हुए हैं। वर्तमान में नीलाम हो रहे धान की कीमत 1750 से 1900 रुपए तक मिल रही है। यदि एक्सपोर्ट में चावल का रेट अच्छा मिलता तो यहां हो रही धान की नीलामी में भी 2300 रुपए क्विंटल का भाव मिल सकता था।
समाप्त हो एकल लायसेंस सिस्टम
रायपुर कृषि मंडी के पूर्व सदस्य एवं मिलर विजय शर्मा का कहना है, एकल लायसेंस के सिस्टम को भी समाप्त करना चाहिए। राज्य में छत्तीसगढ़ के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता खत्म होनी चाहिए।
