जुलाई के बिल में महंगी बिजली का झटका: ऊर्जा शुल्क में डेढ़ फीसदी की राहत भी

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रायपुर। प्रदेशभर के 65 लाख बिजली उपभोक्ताओं को इस बार अगस्त में जो जुलाई का बिल आएगा, उसमें महंगी बिजली का झटका लगेगा, क्योंकि नए टैरिफ में 10 से 30 पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी हो गई है। इसी के साथ एक बड़ी राहत वाली खबर यह भी है कि पहली बार एफपीपीएएस शुल्क डेढ़ प्रतिशत माइनस में हो गया है। लगातार दूसरे माह एफपीपीएएस माइनस में है। वैसे यह तीसरी बार है जब एफपीपीएएस माइनस में है। अप्रैल के बिल में पहली बार एफपीपीएएस शुल्क माइनस में चला गया था।
ऐसे में अप्रैल का जो बिजली बिल मई में आया था, उसमें 12.61फीसदी एफपीपीएएस शुल्क नहीं देना पड़ा, लेकिन फिर जून में जो मई का बिल आया उसमें फिर से एफपीपीएएस शुल्क 7.32 फीसदी के हिसाब से लिया गया था। इसके बाद फिर से जून के बिल में एफपीपीएएस शुल्क माइनस हो गया। बिजली का नया टैरिफ जुलाई से लागू किया गया है। ऐसे में इस बार अगस्त में जो जुलाई का बिल आएगा, उसमें सभी वर्ग के उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी। जहां घरेलू वर्ग के उपभोक्ताओं की बिजली को 10 से 20 पैसे प्रति यूनिट महंगा किया गया है, वहीं अन्य वर्गों के उपभोक्ताओं की बिजली 30 पैसे यूनिट तक महंगी हुई है।
लागत हो गई कम
एक बार फिर से जुलाई के बिल में एफपीपीएएस के माइनस में जाने का कारण यह बताया जा रहा है कि इस बार बिजली उत्पादन की लागत कम होने के कारण ऊर्जा पर लगने वाला शुल्क माइनस में चला गया है। अगस्त में जो जुलाई का बिल आएगा, उसमें जून में की गई बिजली की खपत पर डेढ़ प्रतिशत के हिसाब के बिल में पैसे कम हो जाएंगे।
अब हर माह तय होगी कीमत
प्रदेश में अब तक बिजली उपभोक्ताओं से वीसीए के स्थान पर उत्पादन लागत के अंतर की राशि को उपभोक्ताओं से वसूलने के लिए नया फार्मूला फ्यूल पॉवर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) लागू है। सबसे पहले 2023 के अप्रैल में पहली बार नया फार्मूला लागू किया गया। बीते दो साल से उपभोक्ताओं को एफपीपीएएस शुल्क के नाम से हर माह झटका ही लगता रहा है। पहली बार यह झटका इस साल अप्रैल के बिल में नहीं लगा था। इसके पीछे का कारण यह है कि एनटीसीपी लारा से ली गई बिजली का 15 सौ करोड़ अंतर का पैसा बीते छह माह से उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा था जिसके कारण एफपीपीएएस शुल्क ज्यादा लग रहा था। अब यह अंतर की राशि समाप्त हो गई है। इसलिए अप्रैल में राहत रही। लेकिन एक माह बाद फिर वापस एफपीपीएएस शुल्क लिया गया। एक बार फिर से जून के बिल में एफपीपीएएस 0.12 माइनस हो गया। ऐसे में उपभोक्ताओं को मई माह में लगा 7.32 फीसदी का शुल्क इस बार नहीं लगा। इसके पीछे का कारण पॉवर कंपनी के अधिकारी यह बता रहे हैं कि मई में खपत कम होने के कारण बाहर से ज्यादा बिजली नहीं ली गई जिसके कारण जून के बिल में मई की खपत पर लगने वाला एफपीपीएएस नहीं लिया गया।
