मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे बिरनासिल्ली के ग्रामीण: शिक्षा, सड़क, शुद्ध पेयजल और बिजली से हैं वंचित

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे बिरनासिल्ली के ग्रामीण
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मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे बिरनासिल्ली के ग्रामीण

सरकार ने स्वास्थ्य, रोजगार, स्वच्छ पानी और पक्की सड़क जैसी सुविधाओं का वादा किया था। लेकिन नगरी में आज भी लोग विकास के लिए तरस रहे हैं।

अंगेश हिरवानी-नगरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नगरी में आज भी लोग विकास के लिए तरस रहे हैं। सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, स्वच्छ पानी और पक्की सड़क जैसी सुविधाओं का वादा किया था। लेकिन गांव की जमीनी हकीकत इससे बिलकुल उलट नजर आती है। ग्रामवासियों की शिकायत है कि वर्षों से मांग के बावजूद पक्की सड़क तक मंजूर नहीं हो सकी है।

मिली जानकारी के अनुसार, भारत सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजातियों के समग्र विकास के लिए संचालित पीएम जनमन योजना, धमतरी जिले के नगरी विकासखंड के ग्राम पंचायत बिरनासिल्ली में अपना प्रभाव छोड़ने में अब तक विफल रही है। यहां निवास करने वाले 42 कमार जनजातीय परिवारों की स्थिति आज भी बदहाल है। लोगों का कहना है कि, टाइगर रिजर्व क्षेत्र में होने के कारण वन विभाग द्वारा निर्माण कार्यों में अनुमति नहीं दी जाती, जिससे योजनाएं अटक जाती हैं। कई कार्य केवल कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं।

बिरनासिल्ली पहुंचने का रास्ता कच्चा
बिरनासिल्ली पहुंचने का रास्ता आज भी पूरी तरह कच्चा है। बरसात में ये रास्ते गहरे कीचड़ में तब्दील हो जाते हैं। जहां से साइकिल और मोटरसाइकिल तक ले जाना मुश्किल होता है। आए दिन स्कूली बच्चों और ग्रामीणों के गिरकर घायल होने की घटनाएं सामने आती हैं। सरपंच सियाराम मंडावी बताते हैं कि वर्षों से पक्की सड़क की मांग की जा रही है, लेकिन शासन-प्रशासन अब तक मौन है। हाल ही में बारिश से पहले ग्रामीणों ने चंदा एकत्र कर स्वयं रास्तों पर रेत डलवाया, जिससे आंशिक राहत जरूर मिली है।

जान जोखिम में डालकर नदी पार करते है ग्रामीण
वहीं गांव के मध्य बहती बाल्का नदी कमार मोहल्ले को पंचायत भवन, स्कूल और आंगनबाड़ी जैसे जरूरी संस्थानों से अलग करती है। नदी पर पुल नहीं होने के कारण कमार परिवारों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। बरसात में यह जोखिम और भी गंभीर हो जाता है। नगरी एसडीएम प्रीति दुर्गम ने बताया कि, गांव में मूलभूत सुविधाएं दी जा रही हैं। पर यह क्षेत्र टाइगर रिजर्व में होने के कारण निर्माण कार्य के लिए सम्बन्धित विभाग के माध्यम से केंद्र से अनुमति आवश्यक होती है।

आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण
जंगल सत्याग्रह का आगाज होनी वाले धमतरी जिला के नगरी सिहावा अन्तर्गत ग्राम बिरनासिल्ली के समीप पर स्थित जंगल यानी झण्डाभरी जंगल पर अंग्रेजी द्वारा बेस कीमती सागोन, बीजा, साल जैसे इमारती लकड़ी जंगल से काट कर से सीधे इंग्लैंड में भेजते थे। इसका विरोध करते हुए क्षेत्र के क्रांति कारी ने उस स्थान पर इकट्ठा हो कर अंग्रेजो के नीतियों के खिलाफ लामबंद होकर हल्ला बोला। लेकिन उसी स्थान के समीप बसे गांव में भारत की आज़ादी के 75 वर्षों से अधिक बीत जानें के बाद भी यह के लोग अपने जिंदगी में मूलभूत सुविधाओं के लिए दर दर भटक रहे हैं।

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