मनमाने राखड़ डंपिंग बनी मुसीबत: ग्रामीणों का जीना हुआ दूभर, पर्यावण संरक्षण मंडल को ज्ञापन सौंपने की तैयारी

Dumping gravel
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डंप किया गया राखड़

दोंदेकला में राखड़ की डंपिंग से ग्रामीणों का जनजीवन बेहाल हो गया है। आक्रोशित ग्रामीणों ने मामले में कलेक्टर और पर्यावण संरक्षण मंडल से शिकायत करने की बात कही है।

छन्नू खंडेलवाल- मांढर। छत्तीसगढ़ का ग्राम दोंदेकला इन दिनों राखड़ डंपिंग करने का अड्डा बन गया है। यहां के बंद खदानों में अडानी पावर प्लांट के राखड़ को बिना किसी सुरक्षा मापदंडों का ख्याल रखते हुए डंपिंग किया जा रहा है। जिससे आम ग्रामीणों का जनजीवन दूभर होते जा रहा है। धूल भरी आंधी तूफान आने के दौरान रखड़ उड़कर बस्ती में चला जाता है। जिसके चलते लोगों के आंखों में जलन की शिकायत लगातार आ रही है।

राखड़ डंपिंग करने वाले कही भी राखड़ को डंप कर चले जा रहे हैं। जिसके चलते उड़कर हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, आवागमन करने वालों साथ- साथ अन्य ग्रामीणों के स्वास्थ्य को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है। जहां पर खदानों को रखड़ से पटा जा रहा है वहां पर घनी आबादी बस्ती लगा हुआ है। इसके अलावा सरकारी स्कूल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी है।

नियमों के विरुद्ध हो रही डंपिंग
राखड़ डंपिंग को लेकर अब ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है। यह पूरा खेल पर्यावरण संरक्षण मंडल और तहसीलदार के मिलीभगत से संचालित किया जाता है।उद्योग से जनित राखड़ का सही डंपिंग करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने नियम बनाकर लिखित आदेश जारी किया है। लेकिन यहां पर काम नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है।


मामले में सौंपा जायेगा ज्ञापन
भाजपा विधानसभा मंडल के महामंत्री चंद्रशेखर वर्मा ने बताया कि, हमारा गांव इन दिनों राखड़ डंपिंग का प्रकोप झेल रहा है। सरकारी भूमि के बंद खदानों को बिना ग्रामीणों के सूचना बेकार एकाएक रखड़ की पहाड़ खड़ा कर डंपिंग किया जा रहा है। जिस वजह से जीवन बदहाल होते जा रहा है। बिना किसी सुरक्षा मापदंडों के शासन- प्रशासन के यह कृत्य किया जा रहा है। जबकि खदानों में लबालब पानी भरा हुआ है। आसपास के ग्रामीण निस्तारित भी करते हैं इसके अलावा गांव का जल स्तर भी बना रहता है। अब इस पूरे मामले लेकर कलेक्टर और पर्यावण संरक्षण मंडल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

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