डोंगरगढ़ के ठाकुर टोला नाले में बहा युवक: सिंचाई विभाग की लापरवाही से मौत, ग्रामीणों में आक्रोश

मिथिलेश की मौत से गांव में आक्रोश का माहौल
राजा शर्मा - डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ विकासखंड का कोलेंद्रा–ठाकुर टोला नाला बीते रोज एक परिवार के लिए मातम का कारण बन गया। सिंचाई विभाग की लापरवाही ने 35 वर्षीय मिथिलेश वर्मा की जान ले ली।
दरअसल, बारिश और डंगोरा डैम से छोड़े गए उल्टे पानी ने नाले का जलस्तर अचानक बढ़ाया और पैदल पार कर रहे मिथिलेश बह गए। घंटों की मशक्कत के बाद ग्रामीणों और पुलिस ने शव बरामद किया, लेकिन सवाल यह है कि, आखिर इस मौत का जिम्मेदार कौन है?
ग्रामीणों का ये है आरोप
स्टॉप डैम में सात गेट लगे हैं, लेकिन तीन गेट महीनों से खराब पड़े हैं। विभाग की लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि, पुलिया के ऊपर पानी चढ़ा और मिथिलेश की जिंदगी छिन गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि, अगस्त-सितंबर जैसे बरसाती महीनों में विभाग अगर समय रहते गेट खोल देता और खराब गेटों की मरम्मत करता, तो हादसा टल सकता था। ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग पर करारा प्रहार किया। उनका कहना है कि, जिम्मेदार अधिकारी मरम्मत के नाम पर सिर्फ फाइलें खंगालते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत किसी को नहीं दिखती। नतीजा यह है कि, आम लोग अपनी जान देकर विभाग की नाकामी का दंड भुगतते हैं।

हादसे के वक्त नहीं पहुंचा कोई जनप्रतिनिधि
जानकारी के मुताबिक, जलसंसाधन विभाग के प्रभारी एसडीओ असद सिद्दीकी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे दफ्तर से नदारद रहे और उनका मोबाइल तक स्विच ऑफ मिला। एक जिम्मेदार अधिकारी का इस तरह मीडिया और जनता से मुंह फेरना विभागीय ढिलाई की गवाही देता है। गांव में गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि, हादसे के वक्त कोई जनप्रतिनिधि मौके पर नहीं पहुंचा। ग्रामीण तंज कसते दिखे कि, वोट मांगने चुनाव के वक्त सब दौड़ते हैं, लेकिन जब गांव का बेटा पानी में बहकर मर जाता है, तब नेताओं और अधिकारियों की आंखों पर पट्टी बंध जाती है।

आखिर कौन लेगा मौत की जिम्मेदारी?
ठाकुर टोला नाले में हुई यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता का आईना है। अब बड़ा सवाल यही है कि, मिथिलेश वर्मा की मौत की जवाबदेही कौन लेगा? सिंचाई विभाग, प्रशासन, या वे चुने हुए जनप्रतिनिधि जो आज भी खामोश हैं?
