पूर्व सरपंच की मनमानी: मुड़िया गांव में बिना प्रक्रिया के शासकीय जमीन अपने करीबियों को बांटी गई

The matter of occupation of government land
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ग्राम मुड़िया में शासकीय जमीन पर कब्जे का मामला उजागर


ग्राम मुड़िया में शासकीय जमीन पर कब्जे का मामला उजागर, जांच में पूर्व सरपंच और सचिव के खिलाफ गंभीर अनियमितताओं के आरोप।

राजा शर्मा- डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम मुड़िया में सरकारी ज़मीन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। गांव के पूर्व सरपंच द्वारा अपने कार्यकाल में कथित रूप से रंगदारी दिखाते हुए शासकीय भूमि को अपने करीबी और संपन्न लोगों के नाम पट्टा करने का मामला सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा काम बिना पटवारी और तहसीलदार की मौजूदगी के, ग्राम पंचायत स्तर पर ही कर लिया गया।

गौर करने वाली बात यह है कि जिस जमीन का उद्देश्य भूमिहीन और गरीब परिवारों को आश्रय देना था, वह अब गाड़ी, मकान और कृषि भूमि रखने वाले लोगों को बांट दी गई है। सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन सरपंच और सचिव ने आपसी साठगांठ से प्रशासन को अंधेरे में रखते हुए यह सारा खेल रचाया और असली जरूरतमंदों को पूरी तरह नजरअंदाज़ कर दिया।


जागरूक नागरिक ने मामले की शिकायत करते हुए कार्य को रुकवाया

विवादित भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मकान निर्माण का कार्य शुरू होते ही ग्रामीणों को इस अनियमितता का आभास हुआ। इसके बाद गांव के ही एक जागरूक नागरिक ने मामले की शिकायत करते हुए कार्य को रुकवाया और जांच की मांग की।


जांच के दायरे में पूर्व सरपंच और सचिव

एसडीएम मनोज मरकाम ने जानकारी दी है कि जांच फिलहाल जारी है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या वाकई प्रशासन दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगा या यह मामला भी अन्य भ्रष्टाचार मामलों की तरह जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो- ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों की मांग है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जाए और जिन लोगों को वास्तव में भूमि की आवश्यकता है, उन्हें उनका हक मिलना चाहिए। यह मामला न केवल ग्राम पंचायत व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि शासन की गरीब कल्याण योजनाओं की साख पर भी असर डालता है।

क्या प्रशासन दिखाएगा सख्ती या फिर चलेगा पुराना खेल
अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है। यदि दोषियों पर कार्यवाही नहीं होती है, तो यह संदेश जाएगा कि शासन की योजनाओं का लाभ अब भी प्रभावशाली और पूंजीपति वर्ग तक ही सीमित है।

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