जिला अस्पताल के डॉक्टर पर गिरी गाज: शासन ने पद से किया बर्खास्त, 11 साल पहले एसीबी ने रिश्वत लेते पकड़ा था

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धमतरी जिला अस्पताल के डॉक्टर एमए नसीम को पद से किया गया बर्खास्त

धमतरी जिला अस्पताल के डॉक्टर एमए नसीम को पद से बर्खास्त कर दिया गया है। भ्रष्टाचार के 11 साल पुराने केस के चलते शासन ने कड़ी कार्रवाई की है।

भोजराज साहू- धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला अस्पताल के डॉक्टर एमए नसीम को पद से बर्खास्त कर दिया गया है। रिश्वत और भ्रष्टाचार के 11 साल पुराने मामले के चलते शासन ने कार्रवाई की है। डॉक्टर एमए नसीम को 2014 में एसीबी ने रिश्वत लेते पकड़ा था। एमए नसीम पर 2018 में रायपुर की अदालत ने एक साल की सजा और 15 हज़ार अर्थदंड लगाया था। जिसके बाद इस फैसले को नसीम ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। वहीं अब मामले को संज्ञान में लेते हुए शासन ने लिया बर्खास्तगी का फैसला लिया है।


वहीं बलौदाबाजार जिले में पुलिस ने सायबर अपराध के मामले में एक आरक्षक को गिरफ्तार किया है। पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करने वाले एक गंभीर प्रकरण में जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में पदस्थ पुलिस आरक्षक हेमंत नायक को गिरफ्तार कर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इस मामले में आरक्षक पर फर्जी ईमेल आईडी बनाकर बैंकिंग संबंधित कार्यों में लोगों से अवैध रूप से धन वसूली करने का आरोप सिद्ध हुआ है।

जांच के बाद हुआ था खुलासा
मिली जानकारी के अनुसार, 03 जुलाई 2024 को एक शिकायत आवेदन की जांच में यह तथ्य सामने आया कि आरक्षक हेमंत नायक ने अपनी पूर्व पदस्थापना अवधि के दौरान जिला बलौदाबाजार-भाटापारा में विभिन्न आवेदकों से खाता फ्रीज-डीफ्रीज कराने के नाम पर पैसे वसूले थे। इसके अतिरिक्त, उसके विरुद्ध इसी प्रकार के अन्य धोखाधड़ी के मामलों में भी शिकायतें प्राप्त हुई थीं। शिकायतों की प्रारंभिक जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की गई थी।

साइबर सेल टेक्निकल टीम का सदस्य था आरोपी
इस मामले में पुलिस द्वारा अब तक कितने रुपए की ठगी की गई है इस बात का खुलासा नहीं किया गया है। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि आरक्षक द्वारा 2 से 3 करोड रुपए की वसूली की गई है। पूर्व में आरक्षक साइबर सेल टेक्निकल टीम का सदस्य था, सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब 2 साल पूर्व कि यह बात है तो बलौदा बाजार पुलिस उसे इतनी देरी से क्यों गिरफ्तार की इस ठगी के पीछे किसी अन्य का भी सहयोग से इनकार नहीं किया जा सकता एक सामान्य आरक्षक इतनी बड़ी ठगी को अंजाम दे सकता है यह बात संदेह के घेरे में आता है।

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