सोसाइटियों में नहीं मिलेगी डीएपी: खुले बाजार में कीमत 1750, किसानों को एनपीके का विकल्प

सोसाइटियों में नहीं मिलेगी डीएपी, खुले बाजार में कीमत 1750, किसानों को एनपीके का विकल्प
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File Photo 

छत्तीसगढ़ में इस खरीफ सीजन धान व अन्य फसलों के लिए डीएपी खाद मिलना बड़ा मुश्किल होता दिख रहा है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस खरीफ सीजन धान व अन्य फसलों के लिए डीएपी खाद मिलना बड़ा मुश्किल होता दिख रहा है। मार्कफेड एवं सहकारिता क्षेत्र के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इस सीजन में डीएपी खाद की उपलब्धता अब मुश्किल है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यहां सप्लाई बुरी तरह प्रभावित है, इसलिए सोसाइटियों में डीएपी का विकल्प एनपीके के रूप में दिया जा रहा है।

खास बात यह है कि, जो खाद यानी डीएपी सोसाइटियों में नहीं है, वह खुले बाजार में मिल रही है, पर कीमत ज्यादा है। बाजार में अभी 1750 रुपए कीमत चल रही है, जो पीक टाइम में और बढ़ेगी। हालात को देखते हुए अभी कृषि विभाग की सलाह पर मार्कफेड किसानों के लिए डीएपी की जगह अन्य खाद सोसायटियों को दे रहा है। हालांकि अभी भी सरकार का दावा है कि राज्य में उवर्रकों की कमी नहीं है, पर इसमें डीएपी शामिल नहीं है।

अभी खाद के स्टॉक का ये ब्योरा
सहकारिता क्षेत्र में अपेक्स बैंक के सूत्रों के अनुसार, इस समय सोसायटियों में करीब सभी प्रकार की चार लाख टन खाद उपलब्ध कराई जा चुकी है। इसमें यूरिया, सुपर फॉस्फेट, डीएपी, एनपीके, एमओपी व अन्य शामिल हैं। इसमें से किसान करीब डेढ़ लाख क्विंटल खाद का उठाव कर चुके हैं। रायपुर, गरियाबंद, बलौदाबाजार, सहित अन्य जिलों में खाद की उपलब्धता बताई गई है।

डीएपी का संकट बरकरार
मार्कफेड एवं सहकारिता क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि डीएपी की उपलब्धता मांग के मुकाबले कम है। अंतर्राष्ट्रीय कारण जैसे रूस यूक्रेन युद्ध और और लाल सागर में इजराइल के खिलाफ चल रही लड़ाई के कारण जल परिवहन प्रभावित होने की वजह से कई देशों से खाद का आयात प्रभावित हुआ है। फिलहाल इस संकट के टलने के आसार कम हैं।

नहीं है डीएपी की उपलब्धता
इस संबंध में मार्कफेड की एमडी किरण कौशल ने कहा है कि डीएपी की उपलब्धता अभी नहीं है। यही कारण है कि कृषि विभाग के मार्गदर्शन के अनुरूप किसानों को अन्य वैकल्पिक खाद उपलब्ध कराई जा रही है।

ये विकल्प मौजूद
धान के लिए प्रति हेक्टेयर 100-120 किलोग्राम डीएपी पर्याप्त है, लेकिन मिट्टी परीक्षण के आधार पर इसका उपयोग करना चाहिए। अगर डीएपी के विकल्प की बात की जाए तो डीएपी की कमी होने पर एनपीके (12:32:16) या सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग किया जा सकता है। सोसाइटियों को किसानों को एनपीके 20-20-16 थमाया जा रहा है।

क्यों है इसकी जरूरत
डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) धान की खेती के लिए एक महत्वपूर्ण उर्वरक है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन (18%) और फॉस्फोरस (46%) की उच्च मात्रा होती है, जो पौधों के विकास और उपज के लिए आवश्यक है। धान की खेती में डीएपी का उपयोग इसलिए जरूरी है कि फॉस्फोरस धान के पौधों की जड़ों को मजबूत करता है, जिससे पौधा मिट्टी से पानी और पोषक तत्वों को बेहतर अवशोषित कर पाता है।

किसान कहते है
दुर्ग जिले में इस बार डीएपी खाद की बेहद कमी है, जिसके कारण बारिश होने के बाद किसान बोआई नहीं कर पाए है। बताया जा रहा है कि यहां डीएपी के शॉर्टेज की स्थिति ऐसी है कि पिछले साल के मुकाबले आधे से भी ज्यादा भंडारण के टारगेट पर कैंची चला दी गई है। सोसायटियों में किसान केसीसी में खाद और नगदी राशि की एंट्री करा रहे है। पन्द्रह दिन गुजरने के बाद भी खाद नहीं आने की जानकारी दी जा रही है। नगपुरा के किसान पुकेश्वर साहू ने बताया कि दमोदा, भेडसर, रसमडा सहित आसपास के सोसायटी में डीएपी खाद की शॉर्टेज बनी हुई है। जानकारी अनुसार पिछले साल जिले में 14915 टन डीएपी खाद वितरण का टारगेट रखा गया था, लेकिन इस बार मार्कफेड ने डिमांड ही घटा दिया। इस बार सिर्फ 5267 टन डीएपी वितरण करने का टागरेट रखा गया है। जिले में अब तक सिर्फ 3883 टन डीएपी का ही वितरण किया गया है। कोढिया सोसायटी का उपकेन्द्र धनोरा के लिपिक देवलाल साहू ने बताया कि, एक हजार बेग डीएपी का डिमांड भेजा गया है, लेकिन बीस दिन बीतने के बाद सिर्फ दस फीसदी डीएपी भेजा गया है।

राजनांदगांव में भी बढ़ी परेशानी
राजनांदगांव के पैलीमेटा, मोहगांव, ठाकुरटोला सोसायटी में डीएपी खाद बिल्कुल नहीं है। क्षेत्र के सैकड़ों किसान खाद के लिए भटक रहे हैं। पैलीमेटा सोसायटी में मानपुर से पहुंचे किसान ईश्वर यादव और मोहगांव के खेलू राम जंघेल ने बताया कि बीते कई दिनों से वे डीएपी खाद के लिए सोसायटी आ रहे हैं, लेकिन सोसायटी में डीएपी खाद का स्टाक नहीं होने से उन्हें खाद नहीं मिल रही है।

नहीं कट रही पर्ची
राजनांदगांव के ही विचारपुर सोसायटी में भी डीएपी का सीमित स्टाक पहुंचा। जिसे सोसायटी के कुछ किसानों को पर्चे के हिसाब से वितरण कर दिया गया है। वर्तमान में यहां डीएपी खाद नहीं है। सोसायटी पहुंचे किसान मोहन भारती और तीरथ जंघेल ने बताया कि डीएपी खाद की पर्ची नहीं कट रही है। वहीं, अन्य खाद के लिए पर्ची मिली है।

सिर्फ लिखा रहे
नगपुरा के किसान पुकेश्वर साहू ने बताया कि, केसीसी में खाद और नगद राशि लिखा रहे हैं, लेकिन पन्द्रह दिन से चक्कर काटने के बाद भी डीएपी नहीं मिल रही है।

मिलाकर छिड़कने की सलाह
बोरई झबेन्द्र भूषण वैष्णव ने बताया कि , डीएपी खाद सोसायटी में उपलब्ध नहीं होना प्रबंधक कह रहे हैं। उसकी जगह एनपीके साहित अन्य खाद मिलाकर छींटने कहा जा रहा है। हमारी मांग डीएपी खाद की है।

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