CRPF 188वीं बटालियन में शहीद स्मारक का उद्घाटन: स्वतंत्रता दिवस पर वीर सपूतों को किया गया याद

CRPF 188वीं बटालियन में शहीद स्मारक का उद्घाटन
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CRPF 188वीं बटालियन में शहीद स्मारक का उद्घाटन

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 188वीं वाहिनी सीआरपीएफ कोण्डागांव सीआरपीएफ द्वारा उद्घाटन तथा लोकार्पण किया गया।

कोण्डागांव। 188वीं वाहिनी सीआरपीएफ कोण्डागांव द्वारा स्वतंत्रता दिवस पूरे उत्साह और सम्मान के साथ मनाया गया। स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर 188वीं वाहिनी सीआरपीएफ कोण्डागांव द्वारा निर्मित भव्य शहीद स्मारक का भवेश चौधरी कमाण्डेंट 188वीं वाहिनी सीआरपीएफ द्वारा उद्घाटन तथा लोकार्पण किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार, यह स्मारक शबरी इम्पोरियम के समक्ष राष्ट्रीय राजमार्ग-30 पर मुख्यालय 188वीं वाहिनी के बाहर बनाया गया है। जो कि उन वीर सपूतों की याद में बनाया गया है, जिन्होने नक्सलवाद के विरूद्ध लडाई में बस्तर में अपने प्राणों की आहुति दी। इस अवसर पर अपने संबोधन में भवेश चौधरी कमाण्डेंट ने बताया कि, छत्तीसगढ में उभरे नक्सलवाद को नियंत्रित करने हेतु 21वीं सदी के शुरूवाती वर्षो में, अत्यंत विषम परिस्थितियों में सीआरपीएफ को नक्सलवाद को नियंत्रित करने हेतु तैनात किया गया।


460 सीआरपीएफ के वीरों ने दिया बलिदान
सीआरपीएफ द्वारा अत्यंत विषम परिस्थितियों तथा दुर्गम इलाकों में कार्य करते हुए इस गुरिल्ला युद्ध में डटकर मुकाबला किया। उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की और बड़ी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया या गिरफ्तार किया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि, 1 जनवरी 2003 से 15 अगस्त 2025 की अवधि में अनेकों मुठभेड़ों में बड़ी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया। परंतु इस अवधि में ही विभिन्न हमलों, मुठभेड़ों तथा धमाकों में 20 अधिकारियों सहित कुल 460 सीआरपीएफ के वीरों ने राष्ट्र रक्षा के इस महायज्ञ में अपना अमूल्य बलिदान दिया।

2026 से पहले देश होगा नक्सलमुक्त
यह स्मारक आने वाली पीढ़ीयों को याद दिलाता रहेगा कि, स्वतंत्रता और सुरक्षा की कीमत कितनी ऊंची होती है। किस प्रकार सीआरपीएफ ने नक्सलवाद की गंभीर समस्या को काबू में किया। जो कि एक समय देश की आंतरिक सुरक्षा हेतु सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरी थी। यह सीआरपीएफ के ही प्रयासों का प्रतिफल है। आज नक्सलवाद अपनी ऑखरी सांसे ले रहा है और भारत सरकार के संकल्प के अनुसार ही मार्च 2026 से पूर्व देश को नक्सलमुक्त करने के प्रयास पूर्णतः सफल होंगे। नक्सलवाद की समाप्ति के बाद कुछ समय उपरान्त संभवत काफी वाहिनी अन्य स्थानों पर तैनात हो जायेंगी। परंतु यह स्मारक बस्तर में सीआरपीएफ द्वारा किये गये कार्या तथा दिये गये बलिदान को याद दिलाता रहेगा।

समारोह में इनकी रही मौजूदगी
बस्तर में इस प्रकार का पहला शहीद स्मारक है जो कि सीआरपीएफ के सभी शहीदों की याद में बनाया गया है। इस समारोह में अभिज्ञान कुमार, द्वितीय कमान अधिकारी, कमल सिंह मीणा उप-कमाण्डेंट, ओमप्रकाश विश्नोई सहा.कमा. एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ. राहुल चन्द्रन आर.पी. सभी अधीनस्थ अधिकारी, जवान एवं बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक भी मौजुद रहे, जिन्होने शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी एवं उनका स्मरण किया। अंत में अमर शहीद जिंदाबाद एवं भारत माता की जय के नारों ने वातावरण को अविस्मरणीय कर दिया।

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