इलाज के नाम पर धर्मांतरण और क्रूरता: 18 वर्षीय युवती को दर्दनाक मौत देने की आरोपी महिला गिरफ्तार

इलाज के नाम पर धर्मांतरण और क्रूरता: 18 वर्षीय युवती को दर्दनाक मौत देने की आरोपी महिला गिरफ्तार
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आरोपी महिला गिरफ्तार

गरियाबंद के सुरसाबांधा गांव में इलाज के नाम पर धर्मांतरण और क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। 18 साल की योगिता सोनवानी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

गोरेलाल सिन्हा- गरियाबंद। गरियाबंद जिले के सुरसाबांधा गांव में इलाज के नाम पर हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। मानसिक रूप से अस्वस्थ युवती के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। नतीजा 18 साल की मासूम योगिता सोनवानी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

मिली जानकारी के अनुसार, रायपुर की रहने वाली योगिता सोनवानी का पूजापाठ के ज़रिए उपचार कराने की कोशिश उसके परिजन कर रहे थे। इसी दौरान वे उसे सुरसाबांधा निवासी ईश्वरी साहू के पास लेकर पहुंचे, जो खुद को चमत्कारी आयुर्वेदिक चिकित्सक बताती है। आरोप है कि, महिला ने योगिता को अपने घर में रखकर मानसिक और शारीरिक यातनाएं दीं।


धर्मांतरण का दबाव और क्रूरता का खेल
प्रार्थिया सुनीता सोनवानी की रिपोर्ट के अनुसार, ईश्वरी साहू ने योगिता पर इलाज के नाम पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बनाया। प्रार्थनाएं, बाइबिल पाठ और कथित चमत्कारी तेल से उपचार के दौरान उसके सीने पर पैरों से दबाव डाला जाता था। डर दिखाया जाता था कि, प्रभु नाराज़ हो जाएंगे यदि किसी को कुछ बताया गया।

मौत और पोस्टमार्टम की सच्चाई
22 मई को उपचार के दौरान योगिता की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उसकी पसलियों की हड्डियां टूटी थीं, और अंदरूनी रक्तस्राव के चलते कार्डियक अरेस्ट से मौत हुई। इस रिपोर्ट के आधार पर राजिम थाने में मर्ग कायम कर, छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2006 की धारा 4 और औषधि एवं चमत्कारिक उपचार अधिनियम 1954 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया।


पुलिस की त्वरित कार्रवाई
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गरियाबंद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी महिला 41 वर्षीय ईश्वरी साहू को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया है। पुलिस ने पुष्टि कि, आरोपी के खिलाफ बीएनएस एक्ट की धारा 105 भी जोड़ी गई है।

केवल योगिता नहीं, और भी शिकार
जांच में यह भी सामने आया है कि, योगिता अकेली पीड़िता नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, कम से कम चार अन्य लड़कियों को भी ईश्वरी साहू के घर लाया गया था, जहां उनसे जबरन प्रार्थना करवाई गई और इसी तरह की क्रूरता की गई। हालांकि परिजन अब सामने आने से घबरा रहे हैं।

समाज के लिए सबक है यह मामला
यह मामला न सिर्फ अंधविश्वास और झूठे इलाज के खतरों को उजागर करता है, बल्कि धर्मांतरण के नाम पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों की भयावह तस्वीर भी पेश करता है। गरियाबंद की पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया है, लेकिन यह घटना समाज के लिए एक गहन चेतावनी बनकर सामने आई है।

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