भानुप्रतापपुर और कच्चे परिवहन संघ में ठनी: हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग, कच्चे संघ बोला पूरा खत्म कर देंगे

भानुप्रतापपुर परिवहन संघ की अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन
गौरव श्रीवास्तव - कांकेर। कच्चे माइंस से लौह अयस्क के परिवहन को लेकर भानुप्रतापपुर और कच्चे परिवहन संघ का विवाद गहराता चला जा रहा है। भानुप्रतापपुर परिवहन संघ ने परिवहन में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग को लेकर मंगलवार को भानुप्रतापपुर बंद का आव्हान करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है तो वहीं कच्चे परिवहन संघ ने इसके विरोध में कांकेर कलेक्ट्रेट पहुंचकर भानुप्रतापपुर परिवहन संघ की हिस्सेदारी नहीं बढ़ाए जाने की मांग रख दी है।
दरअसल, कच्चे माइंस में पहले 6 दिन काम होते थे सोमवार को गांव की देवी आस्था के कारण काम बंद रखा जाता था, लेकिन अब हफ्ते के सात दिन काम शुरू किया गया है, जिसके चलते भानुप्रतापपुर परिवहन संघ ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग रख दी है, लेकिन कच्चे परिवहन संघ का कहना है कि, भानुप्रतापपुर परिवहन संघ की हिस्सेदारी जिले में संचालित अन्य माइंस में भी है, जबकि कच्चे परिवहन संघ सिर्फ कच्चे माइंस में ही काम करता है।
कांकेर जिले में भानुप्रतापपुर परिवहन संघ और कच्चे माइंस से लौह अयस्क के परिवहन को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. @KankerDistrict #Chhattisgarh #strike pic.twitter.com/z0ZyWNbNsh
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) June 3, 2025
कच्चे माइंस में भानुप्रतापपुर परिवहन संघ को 36 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी गई
कच्चे गांव की सरपंच कांति हिड़को ने बताया कि, कच्चे माइंस में भानुप्रतापपुर परिवहन संघ को 36 प्रतिशत हिस्सेदारी दी गई है, जबकि 50 प्रतिशत कच्चे परिवहन संघ और 14 प्रतिशत माइंस के मैनेजमेंट के पास है। उन्होंने बताया कि, कच्चे परिवहन संघ में सभी स्थानीय लोग है जिन्होंने अपने जमीन बेचकर ट्रक खरीदा है, जबकि भानुप्रतापपुर परिवहन संघ अन्य माइंस में भी हिस्सेदारी लेता है, ऐसे में यदि उनकी हिस्सेदारी कच्चे माइंस में बढ़ाई जाती है तो स्थानीय लोगों को नुकसान होगा। सरपंच ने आगे चेतावनी भरे लहजे में यह तक कहा कि, भानुप्रतापपुर परिवहन संघ ने यदि अपनी जिद नहीं छोड़ी तो कच्चे माइंस से उनका पूरा हिस्सा खत्म कर दिया जाएगा।
मांग पूरी नहीं होने पर बंद करवा देंगे माइंस
वहीं दूसरी तरफ भानुप्रतापुर परिवहन संघ के अध्यक्ष गुरदीप सिंह ने कहा कि, कच्चे माइंस में मैनेजमेंट का रवैया बहुत गलत है। यदि उनकी मांगे नहीं मानी जाती है, तो वो जनहित याचिका लगाकर माइंस को बंद करवा देंगे। अगर उनके हिस्सेदारी नहीं मिलती है तो माइंस में काम नहीं होने दिया जाएगा।
