एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बदलाव: बाबर बर्बर व हिंसक विजेता, अकबर क्रूर- सहिष्णु, औरंगजेब ने तोड़े मंदिर

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रायपुर। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद अर्थात एनसीईआरटी की आठवीं क्लास की सामाजिक विज्ञान की किताब में बदलाव किया गया है। बदला हुआ यह पाठ्यक्रम मौजूदा शैक्षणिक सत्र से ही लागू होगा। इसी सप्ताह एनसीईआरटी ने यह किताब जारी की है और इसके बाद से इसमें पेश किए गए तथ्यों को लेकर विवाद शुरू हो गया है। मुगलों के इतिहास में क्रूरता को शामिल करते हुए बाबर सहित अकबर को भी क्रूर बताया गया है। सामाजिक विज्ञान की किताब में बाबार को बर्बर, हिंसक विजेता और पूरी आबादी का सफाया करने वाला बताया गया है।
अकबर के शासन को क्रूरता और सहिष्णुता का मिला-जुला रूप बताया है। इसके अलावा औरंगजेब को मंदिर और गुरुद्वारा तोड़ने वाला बताया गया है। आठवीं कक्षा के सिलेबस में 13वीं से 17वीं सदी तक के भारतीय इतिहास को कवर किया गया है। इस किताब में सल्तनत काल को लूट पाट और मंदिरों को तोड़ने के रूप में दिखाया गया है। इसके पहले की किताब में सल्तनत काल को इस रूप में पेश नहीं किया गया था। सर्वाधिक विवाद पृष्ठ क्रमांक 20 में इतिहास की अंधकारमय अवधि के नाम से दी गई। टिप्पणी को लेकर हो रहा है। शिक्षाविदों का कहना है कि यह टिप्पणी एकपक्षीय होकर लिखी गई है ।
केवल तथ्य पेश करें विचार नहीं
निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि, अतीत में जो कुछ हुआ, उसे तथ्यों के साथ पेश करें। इतिहास के नाम पर अपने विचार ना थोपें। केवल सही जानकारी दें और लोगों को सही-गलत का निर्धारण करने दें।
प्रत्येक का अपना नजरिया इतिहासकार
रविवि के प्राध्यापक प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग डॉ. नितेश मिश्रा ने बताया कि, किसी भी घटना को लेकर इतिहासकार का अपना नजरिया होता है। यह दौर अनवेषकों और राष्ट्रवादी इतिहासकारों का है। अत: उन्होंने अपने विचार मुगलों के संदर्भ में रखे।
इंग्लिश माध्यम किताब के अंशों का हिंदी अनुवाद
चित्तौड़ के किले पर कब्जे के दौरान अकबर की उम्र 25 साल थी और उन्होंने 30 हजार नागरिकों के जनसंहार के साथ बच्चों और महिलाओं को गुलाम बनाने का फरमान जारी किया था। अकबर के हवाले से कहा गया है, "हमने काफिरों के कई किलों और कस्बों पर कब्जा कर लिया है और वहां इस्लाम की स्थापना की है। खून की प्यासी तलवारों की मदद से हमने उनके मन से काफिरों के निशान मिटा दिए हैं। हमने वहां के मंदिरों को भी नष्ट कर दिया है।" किताब में इसके आगे लिखा है कि अकबर अपने बाद के शासन में शांति और सद्भावना की बात करते हैं। औरंगजेब ने स्कूलों और मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था। बनारस, मथुरा और सोमनाथ सहित जैनों के मंदिर और सिखों के गुरुद्वारे भी नष्ट किए गए। किताब में पारसियों और सूफियों पर भी मुगलों के कथित अत्याचार का भी जिक्र है।
विवाद के बाद एनसीईआरटी ने जारी किया बयान
विवाद बढ़ने के बाद एनसीईआरटी ने बयान जारी कर जवाब दिया है। एनसीईआरटी ने कहा है, "आठवीं क्लास के लिए सोशल साइंस की नई किताब 'एक्सप्लोरिंग सोसाइटी, इंडिया एंड बियॉन्ड' अब उपलब्ध है। यह किताब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क 2023 के तहत लाई गई है। इस किताब में भारतीय इतिहास की 13वीं सदी से 19वीं सदी के मध्य तक की अवधि को समेटा गया है। हमने इस किताब में दोहराव के बजाय आलोचनात्मक सोच को सामने रखा है। विश्वसनीय स्रोतों के आधार पर संतुलित विवरण को शामिल किया गया है। हमने एक विशेष अध्याय रखा है, जिसका नाम है- इतिहास के अंधकारमय अवधि पर एक टिप्पणी। इस किताब के जरिए युवा अध्येताओं को अतीत के साथ आधुनिक भारत के बनने की समझ विकसित होगी। हमारी पीढ़ियां किसी भी तरह के पूर्वाग्रह और भ्रम से बचें, इसके लिए पृष्ठ संख्या 20 में इतिहास के अंधकारमय अवधि के नाम से एक टिप्पणी है। साथ में हमने डिसक्लेमर भी दिया है कि अतीत में जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए आज किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं।"
