छत्तीसगढ़ का रजत जयंती वर्ष: शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश ने लगाई लंबी छलांग, देश के शीर्ष चार राज्यों में हुआ शुमार

शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश ने लगाई लंबी छलांग, देश के शीर्ष चार राज्यों में हुआ शुमार
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निरक्षर व्यक्ति का पग-पग में शोषण होता है, प्रत्येक व्यक्ति का साक्षर होना जरूरी है : सीएम साय  

छत्तीसगढ़ राज्य ने अपने स्थापना के 25वें वर्ष में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रगति की है। शिक्षा व्यवस्था गुणवत्ता के मामले में चौथे स्थान पर है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य अपने स्थापना के 25वें वर्ष में रजत जयंती महोत्सव मना रहा है। प्रदेश ने 25 साल के सफ़र में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। पुरानी शिक्षा प्रणाली से लेकर नवाचार ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर शहर से लेकर गांव तक स्कूल- कॉलेजों की स्थापना से शिक्षा की लौ दूर- सुदूर तक पहुंच रही है। शैक्षिक परिदृश्य की बात करे तो, छत्तीसगढ़ की वर्तमान साक्षरता दर 70.28% है जो की राष्ट्रीय साक्षरता दर के सामान है।

छत्तीसगढ़ के स्थापना वर्ष 2000 से लेकर अब तक सरकार शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिकता से कार्य कर रही है। इसी का परिणाम है कि, राज्य के उत्तर से लेकर दक्षिण तक शिक्षा की अलख जग रही है। समाज के वंचित लोगों से लेकर महिलाओं और बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिसके लिए राज्य में लगातार नए स्कूल- कॉलेज की नींव रखी जा रही है।


प्रदेश में 56 हजार से अधिक स्कूल
उच्च शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में स्कूलों की संख्या 56 हजार 895 है। जबकि 17 निजी विश्वविद्यालय, 15 सरकारी विश्वविद्यालय, 335 सरकारी कॉलेज, 12 अनुदान प्राप्त निजी कॉलेज और 256 अनुदान अप्राप्त अशासकीय कॉलेज है। बात करे पीएम श्री स्कूल की तो इसकी संख्या 341 है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) 2025-26 की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा व्यवस्था गुणवत्ता के मामले में छत्तीसगढ़ देश में चौथे स्थान पर है।


बजट 2025 में शिक्षा पर किया गया फोकस
छत्तीसगढ़ बजट 2025 में विष्णुदेव साय सरकार ने सबसे ज्यादा फोकस शिक्षा पर किया। सरकार ने बजट में स्कूल शिक्षा विभाग को कुल 22 हजार 356 करोड़ की राशि आबंटित की है। यह राशि किसी भी विभाग से सबसे अधिक है, इससे जाहिर होता है कि, प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर है। बजट में पीएम श्री स्कूल योजना, राष्ट्रीय जंबूरी के आयोजन, स्कूलों के निर्माण और 17 नालंदा पुस्तकालयों को मंजूरी दी गई है। साथ ही 25 कॉलेजों को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में बदलने के लिए 75 करोड़ दिया गया।


नवाचार और उद्यमिता उत्कृष्टता केंद्र की होगी स्थापना
हाल ही में सीएम विष्णुदेव साय की पहल पर रायपुर के IIM- NIT मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन के बीच एमओयू हुआ। इस समझौते के तहत रायपुर में नवाचार और उद्यमिता उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जाएगी। जिससे युवाओं को शोध, प्रयोग और उद्यमिता के जरिए आत्मनिर्भर बनाया जायेगा। प्रदेश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, स्वामी विवेकानन्द तकनीकी विश्वविद्यालय, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय और गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रमुख हैं। स्थापना के पहले प्रदेश में केवल दो विश्वविद्यालय पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय थे। वहीं आज सरकारी और निजी विश्वविद्यालय की कुल संख्या 32 तक पहुंच गई है।


राज्य में कुल 14 मेडिकल कॉलेज
राज्य में कुल 14 मेडिकल कॉलेज हैं, इनमें 11 सरकारी और 3 प्राइवेट कॉलेज शामिल हैं। इसके अलावा राज्य की राजधानी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भी है। प्रदेश में एमबीबीएस की कुल 1 हजार 915 सीटें उपलब्ध है। इसमें से 1 हजार 465 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में और 450 प्राइवेट संस्थानों में है। प्रमुख सरकारी मेडिकल कॉलेज में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), रायपुर, छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान, बिलासपुर, राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, सरगुजा, शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, राजनांदगांव और स्व. श्री बलिराम कश्यप मेमोरियल एनडीएमसी मेडिकल कॉलेज, जगदलपुर शामिल है।


युक्तियुक्तकारण से बदली शिक्षा की तस्वीर
हाल ही में प्रदेश की साय सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए युक्तियुक्तकारण का फैसला लिया। इस निति के तहत प्रदेशभर के शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों का संतुलित वितरण कर युक्तियुक्तकारण किया गया। प्रदेश में युक्तियुक्तकरण के पूर्व कुल 453 विद्यालय शिक्षक विहीन थे। युक्तियुक्तकरण के पश्चात एक भी विद्यालय शिक्षक विहीन नहीं है। इसी प्रकार युक्तियुक्तकरण के पश्चात प्रदेश के 5936 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में से 4728 विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है जो कि, शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सार्थक कदम है। जिससे निःसंदेह उन विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा।

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