भाजयुमो अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस: प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने रवि भगत से सात दिन में मांगा जवाब

भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत
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भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी 

प्रदेश भाजपाध्यक्ष किरण देव ने भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत को कारण बताओ नोटिस जारी कर सात दिन के भीतर जवाब मांगा है।

रायपुर। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने अपने युवा विंग भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उल्लेखनीय है कि, भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिसमें वे अपनी ही पार्टी के सरकार से डीएमएफ की राशि गाना गाकर मांगते हुए दिख रहे हैं।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव ने कहा है कि, आपके द्वारा लगातार पार्टी के लोगों और नेताओं के खिलाफ बयानबाजी सामने आ रही है। आपका यह कृत्य अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। प्रदेश अध्यक्ष ने श्री भगत से इस बाबत सात दिन के भीतर जवाब मांगा है।


उल्लेखनीय है कि, रवि भगत ने एक गीत के माध्यम से शुरुआत करते कहा कि, डीएमएफ के पैसा ल देदो सरकार एकर बदला म उजड़ गए हमर गांव गली, खेत खार। उनकी यह दो टूक टिप्पणी न सिर्फ पीड़ा की झलक देती है, बल्कि यह भी साफ करती है कि खनिज क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को मुआवजे और विकास के नाम पर केवल आश्वासन ही मिला है।रवि भगत ने यह भी कहा कि जिन गांवों में खदानें संचालित हैं, वहां लोग धूल और बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का आज तक अभाव है। हमर गांव उजड़ गए, लेकिन सरकार ने अब तक मदद के नाम पर कुछ ठोस नहीं किया।

कांग्रेस ने बनाया मुद्दा
राज्य में युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा इस तरह की सार्वजनिक टिप्पणी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया है। सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने से पहले रवि भगत ने फेसबुक में पोस्ट भी लिखा था। जिसके बाद से कांग्रेस रवि भगत के बयान को आधार मानकर सरकार को घेर रही है। वीडियो वायरल मामले में भी कांग्रेस के पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने कहा है सरकार लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र की अनदेखी कर रही है।

क्या है डीएमएफ
बता दें डीएमएफ खनन प्रभावित क्षेत्रों के सतत विकास और पुनर्वास के लिए बनाया गया फंड है। खनिज कंपनियों से वसूले गए पैसे को प्रभावित गांवों में स्कूल, अस्पताल, सड़क, पेयजल, रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं पर खर्च किया जाना चाहिए।

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