बिलासपुर में आफत की बारिश: आधे से ज्यादा शहर डूबा, घरों में घुसा पानी, जिम्मेदार बहानेबाज़ी में व्यस्त

बिलासपुर में आफत की बारिश
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बिलासपुर में आफत की बारिश

बिलासपुर में तीन दिन से जारी मूसलाधार बारिश से शहर के अनेक मोहल्ले और कॉलोनियां जलमग्न हो चुकी हैं।

पंकज गुप्ते-बिलासपुर। बिलासपुर में तीन दिन से जारी मूसलाधार बारिश ने जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। शहर के अनेक मोहल्ले और कॉलोनियां जलमग्न हो चुकी हैं। घरों में घुटनों तक पानी भर गया है और लोगों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हुई है। सबसे ज्यादा शर्मनाक पहलू यह है कि यह स्थिति पहली बार नहीं बनी है। वर्ष दर वर्ष बारिश के मौसम में यही कहानी दोहराई जाती है, लेकिन समस्या के स्थायी समाधान को लेकर नगर निगम और शहरी प्रशासन की तैयारियां हर बार नाकाफी साबित होती हैं।


घरों में घुसा बारिश का पानी
सरकंडा क्षेत्र की शिवम होम्स कॉलोनी इसका उदाहरण देखने को मिला है। यहां बारिश का पानी लोगों के घरों में घुस गया। इससे फ्रिज, टीवी, सोफा, पलंग जैसे महंगे घरेलू उपकरण और फर्नीचर बर्बाद हो गए। स्थानीय रहवासियों ने बताया कि, प्रशासन ने पहले से कोई चेतावनी नहीं दी, न ही जल निकासी के लिए कोई आपात इंतजाम किए। लोगों का कहना है कि यह समस्या नई नहीं है। हर साल थोड़ी सी बारिश होते ही यही स्थिति बन जाती है।


भवनों और दफ्तरों में जलभराव
बताया जा रहा है कि, सिर्फ कॉलोनियां ही नहीं, सरकारी भवनों और दफ्तरों तक में जलभराव की तस्वीरें सामने आई हैं। सिरगिट्टी, विनोबा नगर, जरहाभाठा, नेहरू नगर जैसे इलाके तो बारिश शुरू होते ही झील में तब्दील हो जाते हैं। सरकारी स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों तक में पानी भरना यह दर्शाता है कि, नगर निगम की योजना और कार्यशैली कितनी खोखली है।


नगर निगम और महापौर ने दी सफाई
बारिश के बाद नगर निगम और महापौर की ओर से सफाई देने का सिलसिला शुरू हो गया है। महापौर ने बयान दिया कि इस बार असाधारण बारिश हुई है, अगली बार किसी विशेषज्ञ इंजीनियर से स्थायी समाधान निकलवाया जाएगा। वहीं कांग्रेस और भाजपा ने एक-दूसरे को दोष देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार की अनदेखी पर सवाल उठाए, और नगर निगम की लापरवाही को निशाने पर लिया।


नालों की सफाई नाम मात्र की
हर साल जल भराव से निपटने के नाम पर करोड़ों रुपये की योजनाएं कागजों पर बनती हैं। नालों की सफाई, सीवरेज व्यवस्था सुधारने और जल निकासी के इंतजामों के दावे होते हैं, पर जब असल में बारिश आती है, तो सारी योजनाएं पानी में बह जाती हैं। लोगों का कहना है कि, नालों की सफाई सिर्फ नाम मात्र होती है और समय रहते कोई कार्य नहीं होता।


बीमारों की दवाएं और खाद्य सामग्री हुई खराब
लोगों को अपने घरों से पानी निकालने में दिन-रात की मशक्कत करनी पड़ रही है। कई परिवारों को बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ा। बीमारों की दवाएं और खाद्य सामग्री तक खराब हो चुकी हैं। लेकिन नगर निगम की ओर से राहत या पुनर्वास की कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं दिखी है।

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