मंत्रिमंडल विस्तार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता ने लगाई याचिका: हाईकोर्ट ने पूछा- आपने कौन-कौन से सामाजिक काम किए, मंगलवार तक बताएं

बिलासपुर हाईकोर्ट
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बिलासपुर हाईकोर्ट

एक सामाजिक कार्यकर्ता ने साय मंत्रिमंडल के विस्तार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। कोर्ट ने उनसे पूछ लिया कि, आपने कौन-कौन से सामजिक काम किए बताएं।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में साय सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। एक समाजिक कार्यकर्ता ने मंत्रिमंडल के विस्तार को चुनौती दी है।

याचिका में कहा गया है कि, साय सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार असंवैधानिक है। याचिका लगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता की उम्र 80 साल है। हाईकोर्ट ने याचिका लगाने वाले से पूछा कि, आप 80 साल के हैं, आपने कितने सामाजिक कार्य अपने जीवन में किए हैं। हाईकोर्ट ने उनके वकील से उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्य का डेटा प्रस्तुत करने को कहा है। डेटा प्रस्तुत करने के लिये मंगलवार तक का समय हाईकोर्ट ने दिया है। चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच में लगा था मामला।

एंबुलेंस नहीं मिलने से मौत पर सख्ती
इधर, बिलासपुर रेलवे स्टेशन में एंबुलेंस नहीं मिलने से कैंसर पीड़ित महिला की मौत के मामले में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब मुआवजा राशि जमा होना शुरू हो गया है। गुरुवार को रेलवे की ओर से एक लाख रुपए की राशि मेकाहारा रायपुर के खाते में जमा कर दी गई। कोर्ट ने इस मामले में रेलवे और राज्य शासन दोनों को मुआवजा देने का आदेश दिये थे।

रायपुर से बिलासपुर जा रही थी महिला
बता दें कि, मध्यप्रदेश के बुढ़ार की रहने वाली 62 वर्षीय महिला कैंसर से पीड़ित थी। 18 मार्च 2025 को वह अपने परिजनों के साथ ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के जनरल कोच से रायपुर से बिलासपुर आ रही थी। बिलासपुर में ट्रेन बदलकर बुढ़ार जाना था, लेकिन सफर के दौरान ही महिला की तबीयत बिगड़ गई। दरअसल ट्रेन के बिलासपुर स्टेशन पहुंचते ही परिजनों ने रेल कर्मचारियों से मदद मांगी। स्ट्रेचर की व्यवस्था तो की गई, लेकिन महिला को सिर्फ स्टेशन गेट तक लाकर छोड़ दिया गया। करीब एक घंटे बाद एंबुलेंस आई, तब तक महिला की मौत हो चुकी थी। इस पर एंबुलेंस कर्मियों ने ले जाने से भी इंकार कर दिया।

परिजनों को करना पड़ा वाहन का इंतजाम
आखिरकार परिजनों को खुद वाहन का इंतजाम करना पड़ा। यही नहीं इस पूरे मामले का वीडियो और खबर सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया। सुनवाई में कोर्ट ने रेलवे और राज्य शासन को तीन लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसमें रेलवे को एक लाख और राज्य शासन को दो लाख रुपए देने कहा गया। अंत में हाईकोर्ट ने परिवार का पता नहीं चलने पर रेलवे डीआरएम को यह राशि रायपुर स्थित अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल के खाते में जमा करने के निर्देश दिए थे। आदेश का पालन करते हुए गुरुवार को रेलवे ने अस्पताल में एक लाख रुपए की राशि ट्रांसफर कर दी है।

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