हाईकोर्ट ने की M.Tech धारकों की याचिका खारिज: जियो हाइड्रोलॉजिस्ट भर्ती में सिर्फ जियोलॉजी मास्टर डिग्री ही मान्य

बिलासपुर हाईकोर्ट
पंकज गुप्ते - बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने असिस्टेंट जियो हाइड्रोलॉजिस्ट भर्ती मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ताओं की मांग खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता एम.टेक (सॉयल एंड वाटर इंजीनियरिंग) डिग्री धारकों को भी पात्रता सूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे। हाईकोर्ट कोर्ट ने साफ कर दिया है कि, इस पद के लिए केवल जियोलॉजी में मास्टर डिग्री ही मान्य होगी। लोक सेवा आयोग की तरफ से अधिवक्ता आनंद मोहन तिवारी ने पैरवी की।
जानकारी के अनुसार, शासन ने 2020 में निकली भर्ती विज्ञापन में जियोलॉजी में पीजी डिग्री अनिवार्य रखी गई थी। इस पर एम.टेक (सॉयल एंड वाटर इंजीनियरिंग) पास युवाओं ने आपत्ति जताते हुए नियमों को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि, यह डिग्री जियोलॉजी के बराबर है और इन्हें भी पात्रता दी जानी चाहिए।
ऐसे हुई याचिका खारिज
मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहां दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने साफ किया कि, भर्ती नियम तय करना राज्य सरकार का अधिकार है। 2014 में बने नियमों के तहत केवल जियोलॉजी में मास्टर डिग्री ही पात्रता मानी गई है। यह नियम वैध है और इसे बदला नहीं जा सकता। अदालत ने कहा कि, एम.टेक (सॉयल एंड वाटर इंजीनियरिंग) कृषि क्षेत्र के लिए उपयुक्त है, लेकिन यह जियो हाइड्रोलॉजी के कार्यक्षेत्र में फिट नहीं बैठता। इसलिए याचिका में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।
किसी पद के लिए शैक्षणिक योग्यता तय करना राज्य सरकार का है अधिकार
वहीं छत्तीसगढ़ जल संसाधन अभियांत्रिकी एवं भूवैज्ञानिक (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम, 2014 को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि, किसी पद के लिए शैक्षणिक योग्यता तय करना राज्य सरकार का अधिकार है।
भूविज्ञान और मृदा-जल अभियांत्रिकी दोनों अलग-अलग विषय
दरअसल मधुकर पटेल, श्रुति वर्मा, कर्णिका द्विवेदी समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने एम.टेक (मृदा एवं जल अभियांत्रिकी) को मान्यता देने की मांग की थी। उनका तर्क था कि, यह डिग्री भूविज्ञान के समकक्ष है। राज्य सरकार ने दलील दी कि, भूविज्ञान और मृदा-जल अभियांत्रिकी दोनों अलग-अलग विषय हैं और एक-दूसरे के समकक्ष नहीं माने जा सकते।
स्नातकोत्तर डिग्री होगी मान्य
कोर्ट ने सरकार की दलील को सही मानते हुए याचिका खारिज कर दी। इस आदेश के बाद सहायक भू-जल विज्ञानी के पद के लिए केवल भूविज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री ही मान्य होगी।
