पेदा कोरमा गांव में लाल आतंक का कहर: नक्सलियों के हाथों अनिल और सोमा के अरमानों का भी कत्ल

relatives of the dead
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मृतकों के परिजन 

नक्सलियों के हाथों मारा गया 13 साल का अनिल माड़वी सातवीं का छात्र था। 20 वर्षीय सोमा मोडियम आबकारी निरीक्षक बनने की तैयारी कर रहा था।

गणेश मिश्रा- बीजापुर। पेदा कोरमा गांव में नक्सलियों के हाथों ना सिर्फ 3 लोगों की हत्या हुई बल्कि दो बच्चों के अरमानों का गला भी घोंटा गया। 13 वर्षीय नाबालिग अनिल माड़वी जो सातवीं का छात्र था, पढ़- लिखकर कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश थी। वहीं 20 वर्षीय सोमा मोडियम आबकारी निरीक्षक की तैयारी कर रहा था।


जिस गांव से दिनेश जैसा दुर्दांत माओवादी जन्मा, उसी गांव से सोमा ने NCC ज्वाइन कर राष्ट्र के प्रति समर्पण की मिसाल पेश की। लेकिन नक्सलियों के हाथों ना सिर्फ उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी बल्कि उनके अरमान भी दफन हो कर रह गए। सवाल अब भी वही... कब तक बस्तर की धरा बेगुनाहों के खून से लाल होती रहेगी और कब तक मासूमों के अरमान यूं ही दफन होते रहेंगे।

आदिवासियों की मौत रोकना बड़ी चुनौती
मार्च 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे के दावे के बीच सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी कि, ऐसे निरीह आदिवासियों की हत्याओं को कैसे रोकें? इस घटना के बाद गांव में सिर्फ मातम ही नहीं पसरा है बल्कि दहशत ने अपना घर बना लिया है, तो वहीं इस दहशत के बीच ग्रामीण तीन चिता एक साथ जलाने की तैयारी भी कर रहे हैं। बहरहाल पुलिस ने तीनों के शव बरामद कर लिए हैं और पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय बीजापुर लाया गया है।


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