चिमनी की रोशनी में जीवन-यापन: अभी भी अंधेरे में बीजापुर के 15 गांव, सड़क न होने से बिजली पहुंचाना बना चुनौती

बीजापुर जिले के 15 दुर्गम गांव अब भी बिना बिजली के अंधेरे में जी रहे हैं
महेंद्र विश्वकर्मा-जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के 15 से अधिक गांव आज भी बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। इन गांवों में सड़क मार्ग का अभाव है, जिसके चलते बिजली के ट्रांसफार्मर, पोल और अन्य उपकरण पहुंचाना कठिन हो गया है। नतीजा यह है कि ग्रामीण अब भी चिमनी और मिट्टी के दीयों के सहारे अंधेरे में जीवन यापन कर रहे हैं।

अभी भी चिमनी युग में जी रहे ग्रामीण
मेटागुड़ा, आउटपल्ली, लेन्द्री, एर्रापल्ली, कस्तूरपाल, पडरी, पीडिया, कांचल और रिरेनार जैसे गांवों के सैकड़ों ग्रामीण अब भी चिमनी युग में जीने को मजबूर हैं। बच्चों की पढ़ाई से लेकर घरेलू कार्यों तक हर चीज पर अंधेरे की मार है।
विद्युत कंपनी का प्रयास- नियद नेल्लानार योजना
विद्युत कंपनी द्वारा नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत इन गांवों में विद्युतीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन सड़क नहीं होने के कारण ट्रांसफार्मर, पोल और वायरिंग सामग्री को गांवों तक पहुंचाना मुश्किल हो गया है।
बिजली की उम्मीद से जगी नई रोशनी
गांव रिरेनार की निवासी संगीता, बुधरु और मालती सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से वे अंधेरे में रह रहे हैं, रात के समय बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब जब उन्हें यह जानकारी मिली कि उनके गांव तक बिजली लाई जाएगी, तो उनमें खुशी और आशा की नई लहर है। बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य सेवाएं और घरेलू कार्यों में इससे बड़ा बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है।
सड़क से ही पहुंचेगी बिजली
जगदलपुर विद्युत कंपनी के कार्यपालक निदेशक एस.के. ठाकुर ने बताया कि बीजापुर के ये गांव इतने दुर्गम हैं कि वहां तक बिना सड़क के विद्युत सामग्री पहुंचाना लगभग असंभव है। जैसे ही सड़क निर्माण पूरा होगा, नियद नेल्लानार योजना के तहत इन गांवों में बिजली आपूर्ति की जाएगी।
कुछ गांवों में सोलर लाइट की वैकल्पिक व्यवस्था
हालांकि कुछ गांवों में सोलर लाइट की व्यवस्था की गई है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है और अधिकांश आबादी आज भी बिना बिजली के ही गुजर-बसर कर रही है।
