खुमान साव की जयंती पर आयोजन: उनकी सांगीतिक यात्रा का किया गया स्मरण, कालजयी गीतों की दी गईं प्रस्तुतियां

Artists performing classic songs
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कालजयी गीतों की प्रस्तुति देते कलाकार 

चंदैनी गोंदा के कलाकारों द्वारा खुमान साव के जयंती के अवसर पर संस्था के कलाकारों ने कुटेलाभांठा भिलाई में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

भिलाई। छत्तीसगढ़ के चंदैनी गोंदा के कलाकारों द्वारा खुमान साव के जयंती के अवसर पर संस्था के कलाकारों ने कुटेलाभांठा भिलाई में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मंदराजी सम्मान से सम्मानित लोक गायक कुलेश्वर ताम्रकार थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार जोगी राम वर्मा ने की। विशेष अतिथि के रूप में संस्था के संरक्षक डा दीनदयाल साहू तथा भाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष सुंदरलाल साहू थे।

इस कार्यक्रम में कुलेश्वर ताम्रकार ने चंदैनी गोंदा में अपने जीवन के शुरुआती दौर में गुजारे अनुभव को विस्तार से साझा किए। इसके बाद खुमान साव के सांगीतिक निर्देशन में बने गीतों में देवार गीत, छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना, गणेश वंदना प्रस्तुत भी किए। इसके साथ ही संस्था के निरन्तर वृद्धि की कामना की।


संस्था के क्रियाकलापों पर प्रस्तुत की कविता
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जोगीराम वर्मा ने खुमान साव के साथ बिताए अनुभवों को साझा किए, संस्था के क्रियाकलापों पर कविता प्रस्तुत किए। भाजपा नेता ने भी लोक मंच की प्रस्तुति को लेकर सुझाव दिए और उतरोतर वृद्धि की कामना की। आगामी समय में वृहद रूप में कलाकारों को एकजुट कर कार्यक्रम करने की बात कही। संस्था के संरक्षक डॉ. दीनदयाल साहू ने कलाकारों को अच्छी प्रस्तुति के लिए सतत प्रयासरत रहते एकजुटता बनाए रखने की बात की। इसके साथ ही संस्था के कलाकारों के लग्न और मेहनत की सराहना की।

कालजयी गीतों की दी गई प्रस्तुतियां
कलाकारों में ओम प्रकाश साहू, अनुराग थावरे, हरीश कुमार, गोपी पटेल, नानू, भूषण निषाद, शंकर सेन के अलावा अन्य कलाकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम में तोला जाना परे ना काया ल छोड़के। नाच नचनी हो झूम- झूम के झमाझम... अहो- अहो मन भजो गणपति महाराज... धरती के अंगना में चंदैनी फुलगे जैसे अनेक कालजयी गीतों की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम में अनेक कला जगत से जुड़े कलाकारों और साहित्यकारों के अलावा दर्शकों की भी उपस्थिति रही। अंत में कलाकारों ने संस्था को स्वच्छ परम्परा को बनाए रखने अपने संकल्प को व्यक्त किए।

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