बिना रॉयल्टी रात में पकड़ी गई ट्रकें: पता नहीं किसके फोन से हुआ कमाल, छोड़ दी गईं, पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल

Vehicles loaded with sand
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आधी रात को पकड़ी गई रेत से भरी गाड़ियाँ


भाटापारा में आधी रात रेत से भरे वाहनों को पकड़ा गया, लेकिन कथित फोन कॉल के बाद छोड़ने से प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

तुलसीराम जायसवाल- भाटापारा। छत्तीसगढ़ में बलौदाबाजार जिले के भाटापारा क्षेत्र के ग्रामीण थाना क्षेत्र में बीती रात खनिज परिवहन से जुड़ी एक बड़ी अनियमितता की आशंका ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। एक जून और दो जून की दरमियानी रात करीब दो बजे पुलिस ने रेत से लदे पाँच हाईवा वाहनों को रोका। पूछताछ और कागजी जांच की प्रक्रिया चल ही रही थी कि तभी घटनास्थल पर मौजूद ड्राइवरों ने अपने मोबाइल फोन से पुलिसकर्मियों की बात वाहन मालिक और मुंशी से कराई। हैरानी की बात यह रही कि कुछ ही देर बाद सभी वाहन बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिए गए।


बिना रॉयल्टी पास के चल रहे थे वाहन

मौके पर मौजूद सूत्रों के अनुसार, पकड़े गए कुछ वाहनों के पास खनिज रॉयल्टी पर्ची नहीं थी, जो रेत जैसे खनिज के वैध परिवहन के लिए आवश्यक दस्तावेज मानी जाती है। ऐसे में, बिना वैध दस्तावेजों के केवल एक फोन कॉल पर वाहनों को छोड़ दिया जाना गंभीर सवाल खड़े करता है।

एसडीओपी बोले - 'जांच जारी है
घटना की पुष्टि करते हुए भाटापारा एसडीओपी तारेश साहू ने बताया कि वे मामले की जानकारी ले रहे हैं। बाद में उन्होंने व्हाट्सएप पर एक खनिज परिवहन पास साझा किया, जो पंकज कुमार चंद्राकर नामक रियायत धारक के नाम पर जारी था। यह पास 15 घन मीटर रेत के लिए था, और CG 22 Y 7790 नंबर के वाहन के नाम पर बनाया गया था। रेत का गंतव्य अंबुजा सीमेंट प्लांट बताया गया।

अधिकारियों के बयानों में विरोधाभास
घटना के पीछे के कारण को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी भ्रम की स्थिति दिखी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हेमसागर सिदार ने जानकारी दी कि रेत से भरी एक गाड़ी के एक कार को टक्कर मारकर भागने की सूचना मिली थी, इसलिए रात में वाहनों की जांच की जा रही थी। हालांकि, उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की कि सभी गाड़ियों के पास वैध कागजात थे। जब उनसे पूछा गया कि बिना रॉयल्टी वाले वाहनों को केवल एक फोन कॉल पर क्यों छोड़ा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि मामले की जांच कराई जाएगी।

अब उठते हैं ये अहम सवाल
क्या वाकई सभी वाहनों के पास वैध रॉयल्टी पास मौजूद थे?

यदि नहीं, तो क्या केवल फोन कॉल के आधार पर वाहनों को छोड़ना नियमानुसार था?

एसडीओपी और एएसपी के बयानों में विरोध क्यों है?

क्या खनिज परिवहन प्रक्रिया में किसी तरह की मिलीभगत या भ्रष्टाचार छुपा हुआ है।

क्या होगी निष्पक्ष जांच
यह पूरा मामला खनिज परिवहन की पारदर्शिता और प्रशासनिक निष्पक्षता को लेकर गहरी चिंताओं को जन्म देता है। यदि बिना वैध दस्तावेजों के रेत से लदे वाहनों को सिर्फ कथित संपर्कों के आधार पर छोड़ा गया, तो यह एक गंभीर प्रशासनिक चूक मानी जाएगी। जरूरी है कि इस मामले की उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच हो, ताकि दोषियों को जवाबदेह ठहराया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

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