मुआवजे के लिए बनाए रिश्तेदार: भारतमाला परियोजना में अफसरों की मिलीभगत से कराड़ों की हेराफेरी

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भारतमाला सड़क में जमीन का मुआवजा देने में करोड़ों रुपए की हेराफेरी की गई है। जिन लोगों की जमीन सड़क की जद में नहीं आई है, उन्हें भी मुआवजा दे दिया गया है।

धमतरी। भारतमाला सड़क में जमीन का मुआवजा देने में करोड़ों रुपए की हेराफेरी की गई है। जिन लोगों की जमीन सड़क की जद में नहीं आई है, उन्हें भी मुआवजा दे दिया गया है। यही नहीं दस्तावेजों में हेराफेरी कर कई लोगों को अवैध तरीके से लाभदिया गया है। सिवनीकला के ग्रामीण सबूत के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे और इसकी शिकायत करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। मंगलवार को बड़ी संख्या में कुरूद विकासखंड के ग्राम सिवनीकला के ग्रामीण कलेक्टोरेट पहुंचे। कलेक्टर से शिकायत करते हुए उन्होंने बताया कि भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना भारतमाला के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक सुविधायुक्त सड़क का निर्माण किया जा रहा है। यह सड़क कुरूद क्षेत्र होकर गुजरी है, जिसमें सिवनीकला भी आता है। उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण के लिए वर्ष 2019 में जमीन का अधिग्रहण किया गया। जमीन मालिकों को मुआवजा दिया गया। मुआवजा देने में जमकर हेराफेरी की गई।

उन्होंने बताया कि, प्रति एकड़ 18 लाख रुपए का मुआवजा दिया। जमीन के छोटे टुकड़ों के लिए वर्गफीट के हिसाब से मुआवजा का आकलन किया। इस नियम का फायदा उठाकर जमीन मालिकों ने अपनी जमीन को कई टुकड़ों में बांट दिया। प्रति एकड़ उन्हें 18 लाख रुपए मुआवजा मिलना था। बटांकन के बाद उन्हें एक करोड़ से ज्यादा मुआवजा दिया गया है। इस हेराफेरी में न सिर्फ किसान शामिल है, बल्कि जमीन के दलाल से लेकर अधिकारी कर्मचारी भी शामिल हैं। - उन्होंने इस हेराफेरी के दस्तावेज सहित लिखित शिकायत करते हुए इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। इस हेराफेरी में शामिल सभी लोगों के नाम दस्तावेज में उल्लेखित हैं। शिकायत करने वालों में प्रमोद कुमार चंद्राकर, कुलेश्वर साहू, संजु कुन्तारक, तीजूराम धृतलहरे, अमित कुमार, दुलों चंद्राकर, भारत लाल पटेल, निरंजन सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।

शासन को लगाया चूना
ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें जो जानकारी मिली है. उसमें 90 लोगों ने जमीन का बटांकन कर शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है। जमीन अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन 1 जनवरी 2019 को हुआ था। इसके बाद अप्रैल 2019 से लेकर मई 2019 तक जमीन का बटांकन किया गया। एकड़ के हिसाब से मुआवजा लेने की बजाय जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया। बटांकन एक परिवार के लोगों के बीच होना था लेकिन कई लोगों ने जमीन का बटांकन रिश्तेदार और पड़ोसियों के नाम पर कर दिया। जिनके नाम पर जमीन नहीं है और न ही किसी ऋण पुस्तिका में उनका नाम है, ऐसे लोगों को बटांकन कर जमीन का मालिक बनाया गया। मुआवजा मिलने के बाद राशि की बंदरबाट भी कर ली गई।

सरपंच पति, उपसरपंच, ग्राम पटेल सब शामिल
ग्रामीणों ने बताया कि जहां से सड़क निकली है, वहां पर उपसरपंच के नाम पर जमीन नहीं है, लेकिन उसे भी बटांकन में हेराफेरी कर लाभ दिया गया है। सरपंच पति, पूर्व जनपद सदस्य, ग्राम पटेल की जमीन को कई टुकड़ों में बांटा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि किसी जमीन का 8 तो किसी का 15 हिस्स किया गया। इस धांधली में कई रसूखदार भी शामिल हैं। पहले सड़क गणेश, कार्तिक, बैसाख और संतराम की जमीन से निकल रही थी। रसूखदारों ने दिल्ली से सर्वे टीम बुलाकर इसकी दिशा में परिवर्तन कराया। अब सड़क समीर और टेकेश्वर की जमीन से निकली है। विडंबना यह है कि गणेश, कार्तिक, बैसाख, संतराम सहित अन्य लोगों को भी मुआवजा मिल गया है जिनकी जमीन ही सड़क की जद में नहीं आई है।

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