उदयपुर जाएंगी बेमेतरा की शिक्षिका अर्पणा शर्मा: 'शिक्षा में कठपुतली की भूमिका' पर प्रशिक्षण में प्रदेश का करेंगी प्रतिनिधित्व

CCRT प्रशिक्षण उदयपुर शिक्षिका अर्पणा शर्मा का चयन
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CCRT प्रशिक्षण उदयपुर शिक्षिका अर्पणा शर्मा का चयन

बेमेतरा जिले की शिक्षिका अर्पणा शर्मा का चयन सीसीआरटी, उदयपुर में आयोजित 'शिक्षा में कठपुतली की भूमिका' प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए हुआ है।

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र भारत सरकार के तत्वाधान में आयोजन किया गया। 'शिक्षा में कठपुतली की भूमिका' विषय पर राजस्थान के शहर उदयपुर में 27 अगस्त से 10 सितम्बर तक प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम में पूरे भारत वर्ष के विभिन्न राज्यों के शिक्षकों ने अपने-अपने राज्यों की संस्कृति की प्रस्तुति दी जाएगी। इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ राज्य से भी दस शिक्षक शिक्षकाओं का चयन इस प्रशिक्षण के लिए किया गया है। जो छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व सीसीआरटी उदयपुर में करेंगे।

भारतीय कला और संस्कृति का संरक्षण
इनमें बेमेतरा जिले से शासकीय प्राथमिक शाला गर्रा विकासखंड साजा की शिक्षिका अर्पणा शर्मा का भी चयन हुआ है। वे बेमेतरा जिले से छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगी। सीसीआरटी (सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र) के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों, छात्रों और प्रशासकों के बीच भारत की विविध क्षेत्रीय संस्कृतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। ताकि एक एकीकृत सांस्कृतिक समझ विकसित की जा सके। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कला और संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन और प्रसार करते हैं। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ावा देना है। 'इन-सर्विस' शिक्षकों को प्रशिक्षित कर उनकी संख्या बढ़ाना, ताकि सांस्कृतिक शिक्षा को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।

कठपुतली बनाने और कठपुतली आधारित शैक्षिक कार्यक्रम
शिक्षिका अर्पणा शर्मा ने बताया कि, सीसीआरटी (CCRT) कठपुतली कला को शिक्षा में एक सहायक माध्यम के रूप में बढ़ावा देता है। जिसके तहत शिक्षकों को कठपुतली बनाना, उनका संचालन करना और शैक्षिक आलेख तैयार करना सिखाया जाता है। यह कला-एकीकृत दृष्टिकोण राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है और छात्रों की रचनात्मकता को बढ़ाती है। सीसीआरटी शिक्षकों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करता है, जिसमें कठपुतली बनाने और कठपुतली आधारित शैक्षिक कार्यक्रमों को तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है।

छात्रों की रचनात्मकता और कलात्मक क्षमताओं का विकास
यह कार्यशालाएं शिक्षकों को कम लागत वाली, व्यर्थ सामग्री से कठपुतली बनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। कठपुतली कला को शिक्षा में एकीकृत किया जाता है, जिससे छात्रों की रचनात्मकता और कलात्मक क्षमताओं का विकास होता है। प्रशिक्षण में भाग लेने वाले अन्य शिक्षकों में रायपुर जिले से एंजलीना पीटर, कवर्धा जिले से दिलेश्वरी देवांगन, उमेश कुमार ठाकुर, कोरबा जिले से निशा अग्रवाल, धमतरी जिले से मेनका सिन्हा, महासमुंद जिले से नीलकंठ यादव, सरगुजा जिले से प्रिया सिंह शामिल है।

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