राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्त्ति योजना: पिपरिया की 2 बच्चियों ने पाई सफलता, मिलेंगे हर महीने हजार रुपये

National Means cum Merit Scholarship Scheme
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राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्त्ति योजना में दो बालिकाओं का चयन हुआ है


बेमेतरा जिले से राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्त्ति योजना में दो बालिकाओं का चयन हुआ है, 4 साल तक हर महीने इन्हें 1000 रूपए छात्रवृत्ति के तौर पर मिलेगी।

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ में बेमेतरा जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पिपरिया, विकासखण्ड साजा से कक्षा 8वीं की दो बालिकाओं का चयन राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्त्ति परीक्षा (NMMSE)सत्र 2024-25 के लिए हुआ है। ये दोनों छात्राएं हैं, जिनका नाम है- कु. अनीता (पिता: राकेश) और कु. तनुजा (पिता: विष्णु प्रसाद)। इन बालिकाओं का चयन राष्ट्रीय स्तर पर हुई इस परीक्षा में सफलता की मिसाल बन गया है। अब, इन दोनों को कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक हर महीने 1000 रूपए की छात्रवृत्ति मिलेगी, जिससे उन्हें चार सालों में 48,000 रूपए की राशि प्राप्त होगी।

बधाई और सम्मान
कक्षा 8वीं की दोनों छात्राओं के चयन पर उनके माता-पिता और परिवारजनों में खुशी का माहौल है। शाला के प्रधान पाठक राजेश जायसवाल, पंचायत प्रतिनिधि हेमलता धर्मेन्द्र साहू (ग्राम पंचायत सरपंच), युवराज साहू (पूर्व सरपंच), उत्तम साहू, खुमान साहू, कुलेश्वर ठाकुर , डोगेन्द्र वर्मा प्रधान पाठक, गिरवर सिंह ध्रुव, और ग्राम की सरपंच हेमलता धर्मेन्द्र साहू, पूर्व सरपंच युवराज साहू, धनेश्वर साहू, जोहन साहू, गणेश राम साहू, प्रमोद साहू, डॉ टेक राम साहू आदि ने बहुत बहुत बधाई के साथ उज्जवल भविष्य की कामना की है। और अन्य समाजसेवी कार्यकर्ताओं ने इन बालिकाओं को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। साथ ही इनके प्रयासों को सराहा और सम्मानित भी किया गया।

प्रेरणा का स्रोत
यह न केवल इन बालिकाओं के लिए, बल्कि अन्य बच्चों और उनके परिवारों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। यह साबित करती है कि यदि सही मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो सरकारी स्कूलों के छात्र भी उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। पिपरिया स्कूल में प्रत्येक वर्ष NMMSE और जवाहर नवोदय विद्यालय परीक्षा में बच्चों का चयन होता है। स्कूल के शिक्षक नियमित रूप से इन परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं और बच्चों का प्रदर्शन टेस्ट परीक्षाओं के माध्यम से आंका जाता है, जिससे वे प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकें। यह सफलता साबित करती है कि सरकारी स्कूलों में भी यदि समुचित मार्गदर्शन और संसाधन मिलें तो बच्चे उच्च स्तर तक पहुंच सकते हैं। इन बालिकाओं की सफलता अन्य बच्चों को प्रेरित करती है कि मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है।

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