बेमेतरा जिला बना 'रेन शैडो एरिया': पांच साल से झेल रहा अल्पवर्षा का संकट, इस बार भी 38 फीसदी कम

खारुन‌ नदी में बाढ़
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खारुन‌ नदी में बाढ़ 

पड़ोसी जिलों में पूरा हो चुका जुलाई का कोटा, बेमेतरा में अब तक 312.7 मिमी. वर्षा हुई।

रायपुर। दुर्ग से अलग होकर जिला बना बेमेतरा रेन शैडो एरिया बन चुका है। पिछले पांच साल से वहां के लोगों को अल्पवर्षा का संकट झेलना पड़ता है। जुलाई में जहां पड़ोसी जिलों में औसत से अधिक बारिश हो चुकी है, वहीं बेमेतरा मे 312.7 मिमी. वर्षा हुई, जो सामान्य से 38 फीसदी कम है।

मौसम विशेषज्ञों की मानें, तो पूर्व में यह हालात कबीरधाम में बनते थे, मगर अब वहां की स्थिति में सुधार आ चुका है। मानसून ने इस बार जुलाई के महीने में छत्तीसगढ़ का पूरा साथ दिया है और यहां पर्याप्त मात्रा में हुई बारिश के बाद कुल वर्षा 6115 मिमी. दर्ज हो चुकी है। रायपुर समेत 31 जिले में जुलाई की औसत बारिश का आंकड़ा पार हो चुका है। केवल कोंडागांव में 22 और बेमेतरा में 38 फीसदी का संकट है।

पड़ोसी जिलों में पर्याप्त बारिश
बेमेतरा से लगे जिलों में पर्याप्त मात्रा में बारिश हो चुकी है। इनमें कबीरधाम में 395 की तुलना में 495 मिमी. रायपुर में 467 की तुलना में 558 मिमी., बिलासपुर में 629 की तुलना में 770 मिमी., मुंगेली 470 की तुलना में 650 मिमी. और दुर्ग जिले में 473 की तुलना में 520 मिमी. बारिश हो चुकी है। इसके अलावा अन्य जिले भी सामान्य, अधिक और औसत से काफी अधिक बारिश की श्रेणी में शामिल हो चुके हैं।

वर्षा मापक यंत्र वाले क्षेत्र में कम वर्षा
मौसम विज्ञान केंद्र की विशेषज्ञ डॉ. गायत्री वाणी कांचिभोटला का कहना है कि वर्षा की मात्रा की गणना निर्धारित स्टेशन में मौजूद यंत्र के माध्यम से की जाती है। संभवतः बेमेतरा में जिस इलाके में स्टेशन हो वहां कम बारिश हुई है और अन्य इलाके में स्थिति सामान्य हो। विभाग वर्षा मापक यंत्रों की संख्या बढ़ा रहा है। जिले की औसत वर्षा तीस साल की गतिविधि के आधार पर तय किया जाता है। हो सकता है कि बेमेतरा की औसत वर्षा सामान्य स्थिति से अधिक हो।

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