डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत: हुआ था पेट का आपरेशन, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

हुआ था पेट का आपरेशन, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप
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बतौली निवासी अलका लकड़ा की इलाज के दौरान मौत हो गई

बतौली निवासी अलका लकड़ा की मौत के लिए परिजनों ने डॉक्टर की लापरवाही को कारण बताया है। परिजनों ने डाक्टर के खिलाफ पुलिस से शिकायत भी की है।

आशीष कुमार गुप्ता-बतौली। छत्तीसगढ़ में सरगुजा जिले के बतौली ब्लॉक में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही सामने आई है। बतौली निवासी अलका लकड़ा की इलाज के दौरान मौत हो गई, जिस पर परिजनों ने डॉक्टर की लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। मृतका के परिजनों ने बतौली थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके आधार पर मर्ग कायम कर लिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार, बतौली थाना रोड में रहने वाली 49 वर्षीय अलका लकड़ा पति बसंत लकड़ा को पेट दर्द की समस्या थी। जिस पर उनके परिजनों द्वारा 24 अप्रैल को अंबिकापुर में संचालित संकल्प हॉस्पिटल में अलका लकड़ा को भर्ती कराया गया। जहां शारीरिक जांच उपरांत डॉक्टर मनोज भारती के द्वारा मरीज अलका लकड़ा को देखा जा रहा था जिसमें रिपोर्ट देखने के 1 घंटे पश्चात डॉक्टर द्वारा तत्काल ऑपरेशन की बात कही गई।


इलाज के नाम पर लापरवाही और लूट का आरोप

परिजनों के अनुसार, डॉक्टर द्वारा कहा गया कि ऑपरेशन के आठ दिन में मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगी। परिजनों ने डॉक्टर की बात पर भरोसा कर ऑपरेशन की सहमति दे दी। मरीज को 7 मई को डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन घर पहुंचने के बाद अचानक सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई। जिसके बाद परिजन उन्हें डॉक्टर मनोज भारती के निजी क्लिनिक (सुश्रुत सर्जिकल क्लिनिक) ले गए।

हाई डोज इंजेक्शन देकर घर भेज दिया गया

जांच में डॉक्टर ने बताया कि मरीज के फेफड़ों में पानी भर गया है, और इलाज के तहत एक हाई डोज एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया गया। शेष इंजेक्शन घर पर लगवाने के निर्देश देकर मरीज को वापस भेज दिया गया। लेकिन मरीज की हालत में सुधार नहीं हुआ और 12 मई को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बतौली ले जाते समय रास्ते में ही अलका लकड़ा की मौत हो गई।

थाने में शिकायत के साथ कठोर कार्रवाई की मांग

मृतका के परिजनों ने डॉक्टर मनोज भारती पर लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार का आरोप लगाते हुए बतौली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों द्वारा अस्पताल में मोटी फीस वसूलने के बाद भी इलाज में घोर लापरवाही बरती गई, जिससे मरीज की जान चली गई। उन्होंने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में किसी और की जान न जाए।

पोस्टमार्टम की व्यवस्था भी सवालों के घेरे में

चौंकाने वाली बात यह रही कि बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमार्टम नहीं हो सका। अस्पताल प्रबंधन ने डॉक्टरों की कमी का हवाला देते हुए शव को 35 किलोमीटर दूर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज भेज दिया, जो स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल उठाता है।

पुलिस ने मर्ग कायम किया

बतौली पुलिस ने पुष्टि की है कि, मर्ग कायम कर लिया गया है और आगे की जांच की प्रक्रिया जारी है। मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और संबंधित दस्तावेजों की जांच की जा रही है। डॉक्टरों को जहां जीवन रक्षक माना जाता है, वहीं इस तरह की घटनाएं स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई उजागर करती हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता और पारदर्शिता से कार्रवाई करता है।

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