बस्तर के अंदरूनी इलाकों में पहुंच रहीं सुविधाएं: दौड़ने लगीं बसें, खुले बैंक, बंद पड़े स्कूल फिर से खुले

Sai Sarkar Buses started running bank opened Closed schools reopened
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 सीएम विष्णुदेव साय ने भोंगापाल में तमुर्रा नाला में बांस नौका विहार केंद्र के शुभारंभ किया  

छत्तीसगढ़ में साय सरकार के डेढ़ साल के दौरान बस्तर के अंदुरूनी इलाकों में ग्रामीण बस सेवा, बैंक संचार के लिए मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं। बंद पड़े स्कूलों को खोला गया है।

रायपुर। केंद्र और राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं का लाभ अब बस्तर तक पहुंचने लगा है। यहां एक तरफ नक्सलवाद का सफाया हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ बस्तर को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास रंग लाने लगा है। पिछले एक वर्ष में बस्तर के अंदुरूनी इलाकों में आवागमन को आसान बनाने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण बस सेवा की शुरुआत की गई है, अंदरूनी इलाक़ों में बैंक खोले गए हैं, संचार के लिए मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं, शिक्षा के लिए बंद पड़े स्कूलों को खोला गया है। पर्यटकों के लिए बंबू राफ्टिंग और होम स्टे समेत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।


अबूझमाड़ के अंदर भी बस सेवा की शुरुआत
बस्तर में नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत नारायणपुर जिले के अंदरूनी इलाकों में 14 नवीन पुलिस कैंपों की स्थापना के बाद वहां सड़क, पुल-पुलियों एवं मोबाइल कनेक्टिविटी का तेज़ी से विस्तार हो रहा है। इसी कड़ी में जिला प्रशासन द्वारा 13 मई 2025 को पहली बार ग्राम कुतुल तक नारायणपुर से सीधी बस सेवा प्रारंभ की गई। यह बस सेवा जिला मुख्यालय से लगभग 49 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कुतुल के साथ-साथ कुरूषनार, बासिंग, कुंदला, कोहकामेटा, ईरकभट्टी, कच्चापाल और कोडलियर जैसे दूरस्थ गांवों को भी जोड़ रही है। बस सेवा शुरू होने से ग्रामीणों में विशेष उत्साह का माहौल है।


इन मार्गों में दौड़ रही बसें
जिला प्रशासन ने 13 मई 2025 को पहली बार ग्राम कुतुल तक नारायणपुर से सीधी बस सेवा शुरू की है। यह बस सेवा जिला मुख्यालय से लगभग 49 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कुतुल के साथ-साथ कुरूषनार, बासिंग, कुंदला, कोहकामेटा, ईरकभट्टी, कच्चापाल और कोडलियर जैसे दूरस्थ गांवों को भी जोड़ रही है। बस सेवा शुरू होने से ग्रामीणों में विशेष उत्साह का माहौल है। इसी तरह नारायणपुर से मसपुर तक भी 14 गांवों के लिए बस सेवा शुरू की गई है, जिससे इन इलाकों के लोगों को जिला मुख्यालय से बेहतर संपर्क मिला है। योजना के तहत 4जी मोबाइल टॉवर भी लगाए गए हैं, जिनसे ग्राम कस्तुरमेटा, मसपुर, ईरकभट्टी, मोहन्दी, होरादी, गारपा और कच्चापाल के लोग।


पामेड़ में बैंकिंग सेवा की शुरुआत
सीएम विष्णुदेव साय ने बस्तर जिले के पामेड़ में ग्रामीण बैंक की शाखा का वर्चुअल शुभारंभ किया। सीएम साय ने इसे विकास और विश्वास की नई सुबह बताते हुए कहा कि, अब ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाओं के लिए 100 किलोमीटर दूर आवापल्ली नहीं जाना पड़ेगा। यह पहल सरकार के सुशासन और समावेशी विकास के विजन को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा कि, इस बैंक शाखा से पामेड़ और आसपास के 50 गांवों को सीधे लाभ मिलेगा। जहां अब खाता खोलने, पैसा निकालने और महतारी वंदन योजना जैसी योजनाओं की राशि लेने में सुविधा होगी। उन्होंने विशेष रूप से माताओं-बहनों को आश्वस्त किया कि अब उन्हें योजना की राशि के लिए लंबी यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।


बीजापुर जिले के अंबेली गांव में लगा मोबाइल टावर
बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित अंबेली गांव में मोबाइल टावर स्थापित किया गया है। बस्तर क्षेत्र में तैनात पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सोमवार (16 जून) को अंबेली में जियो टेलीकॉम कंपनी का मोबाइल टावर लगाया गया, जिससे बीजापुर के सुदूर गांव अंबेली, उसकापटनम, करकेली और टुंगेली के ग्रामीणों को संचार सुविधा का लाभ मिलेगा। मोबाइल टावर की स्थापना से ग्रामीणों को मोबाइल नेटवर्क का लाभ मिलना संभव हो गया है, साथ ही मजबूत नेटवर्क और इंटरनेट की सुविधा से ग्रामीण इलाकों में पढ़ने वाले छात्रों तथा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं को इसका लाभ मिलेगा। स्थानीय निवासियों को अब अपने परिवार के सदस्यों और अन्य व्यक्तियों से संपर्क स्थापित करने में आसानी होगी। फिलहाल मोबाइल और इंटरनेट की आवश्यकता और सुविधा को देखते हुए क्षेत्र में संचार व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए मोबाइल टावर स्थापित किए जा रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे क्षेत्र के लोगों को बेहतर संचार सुविधा मिलेगी और वे देश-विदेश के साथ जुड़ सकेंगे।


नारायणपुर, सुकमा के अंदरूनी इलाकों में खुले स्कूल
बस्तर संभाग में अ से आम और क से कबूतर की आवाज सुनाई देने लगी है। ये आवाज बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से आ रही है। 20 सालों बाद जब यह आवाज सुनाई देने लगी है तो इलाके में बदलाव की बयार बह रही है। नक्सली हिंसा की वजह से दो दशक पहले बंद हुए 41 स्कूल फिर से खुल गए हैं, जिससे सैकड़ों बच्चों को पढ़ाई का मौका मिला है। यह खुशी की बात है कि बीजापुर जिले में, जो माओवादी हिंसा से सबसे ज़्यादा प्रभावित था, 34 स्कूल फिर से खुल गए हैं। सुकमा के कोंटा क्षेत्र में पांच और नारायणपुर में दो स्कूल फिर से शुरू हुए हैं। ज़्यादातर स्कूल 2005-2006 में माओवादी हिंसा के कारण बंद कर दिए गए थे।


बढ़ रही पर्यटकों की संख्या, दी जा रही कई सुविधाएं
बस्तर में पिछले तीन वर्षों में यहां पर्यटकों की संख्या सवा लाख तक बढ़ गई है। वर्ष 2021 में पर्यटकों की संख्या 92 हजार थी। पिछले वर्ष यह आंकड़ा दो लाख के पार पहुंच गया। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक बनाए जाने के बाद से गणवीर ने 200 वर्ग किमी के उद्यान क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ाई। साइकिलिंग और बाइक राइडिंग का शौक होने के कारण वे सुबह की सैर में आसपास के क्षेत्र में निकल जाते हैं। इससे उन्हें पर्यटक के लिहाज से बेहतर स्थानों की जानकारी हो जाती है। 45 गांव के वनवासियों की वन के प्रति आस्था को समझते हुए उन्होंने कांगेर घाटी क्षेत्र में प्रकृति और सांस्कृतिक पर्यटन का मॉडल तैयार किया। इससे यह क्षेत्र आदिम संस्कृति के साथ ही प्राकृतिक पर्यटन का केंद्र बनकर उभरा है, जबकि अब तक इस क्षेत्र को केवल तीरथगढ़ या कोटमसर गुफा के नाम से जाना जाता था।


भोंगापाल में बांस नौका विहार शुरू
इसी क्रम में हाल ही में सीएम विष्णुदेव साय ने कोंडागांव जिले के भोंगापाल गांव में प्राचीन शिव मंदिर परिसर में महालक्ष्मी महिला स्वसहायता समूह के सदस्यों को कयाकिंग 5 नग नाव प्रदाय किया और संयुक्त वन प्रबंधन समिति भोंगापाल को तमुर्रा नाला में बांस नौका विहार केंद्र के शुभारंभ के लिए सामग्री बांटी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने महिला समूह के अध्यक्ष सुनीता नाग सहित अन्य सदस्यों से चर्चा की। सीएम ने इस मौके पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत प्राचीन शिव मंदिर परिसर भोंगापाल में पीपल के पौधे का रोपण किया।


बम्बू राफ्टिंग और कयाकिंग पर्यटकों को कर रहे आकर्षित
धूड़मारास गांव कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है। यहां के स्थानीय ग्रामीणों की आय को बढ़ाने और क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए जिला प्रशासन ने बम्बू राफ्टिंग और कयाकिंग की शुरुआत की थी। जिसके बाद से ही इस सुंदर जगह पर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। पर्यटक यहां पहुंचकर खुद को आनंदित महसूस करते हैं। इसके साथ ही वे खुश होकर बैंबू राफ्टिंग और कायकिंग का मजा लेते हैं।


होम स्टे में मिलता है बस्तरिहा व्यंजनों का स्वाद
धूड़मारास गांव में आने वाले पर्यटकों का कहना है कि, यह जगह काफी सुन्दर है। इस इलाके का विकास किया जाना चाहिए। साथ ही सुरक्षा के लिये व्यवस्था की जानी चाहिए। ताकि बाहर से आने वाले पर्यटक अपने परिवार के साथ इंजॉय कर सके। वहीं बात करे इस गांव में बने होम स्टे की तो इसे बेहद ही अद्भुत तरीके से बनाया गया है। जहां पर बाहर से आने वाले पर्यटकों को बस्तरिया भोजन का स्वाद चखने को मिलता है। प्रकृति की सुंदरता के बीच बसे इस सुंदर से गांव में आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है।

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