बस्तर के 43 वैद्यों को मिला प्रमाण पत्र: ये अब बेफिक्र होकर कर पाएंगे लोगों का इलाज

43 वैद्यराजों को रोग विशेष का इलाज करने सरकारी प्रमाण पत्र मिला
महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। बस्तर संभाग के 43 वैद्यराजों को रोग विशेष का इलाज करने के लिए अब सरकारी प्रमाण पत्र मिल गया है। अब वे बुखार से लेकर हर प्रकार की बीमारी का इलाज बेफिक्र होकर कर सकेंगे।
शुक्रवार को शहर के वन विद्यालय में आयोजित समारोह में सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव और बस्तर जिले के 43 वैद्यराजों को यह प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर वन विभाग जगदलपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक आरसी दुग्गा ने कहा कि, जहां स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच नहीं पातीं वहां वैद्य ही ग्रामीणों का जीवन बचा रहे हैं। यह कार्य निरंतर जारी रहना चाहिए, इसलिए उन्हें सम्मानित करते हुए शासन द्वारा यह प्रमाण पत्र सम्मान समेत भेंट किया जा रहा है। हमारा उद्देश्य झोला छाप डॉक्टरों को हतोत्साहित करना है।

जैव विविधता बोर्ड की डॉ. देवयानी शर्मा ने बताया उद्देश्य
छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड की डॉ. देवयानी शर्मा ने बताया कि, इस प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के पीछे यह उद्देश्य है कि, इन पारंपरिक चिकित्सकों के ज्ञान को औपचारिक रूप मिले, जिससे उन्हें सम्मान, मान्यता और आगे प्रशिक्षण तथा अनुसंधान के अवसर मिल सकें। इस कार्य में क्वॉलिटी कंट्रोल आफ इंडिया एवं ट्रांसडिसिप्लिनरी यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में परंपरागत ज्ञान एवं वनौषधि संरक्षण संस्था द्वारा कार्य किया गया है। इसका उद्देश्य यह भी रहा कि, पारंपरिक ज्ञान का वैज्ञानिक तरीके से मूल्यांकन हो और यह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।

जड़ी-बूटियां चिकित्सा पद्धतियों का मूल : गुप्ता
इस मौके पर वनमंडल अधिकारी उत्तम गुप्ता ने कहा कि, शदियों से जड़ी बूटियां विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का मूल रहा है। इसलिए जंगलों में उपजने वाली कीमती वनोषधियों का संरक्षण और इसे इलाज करने वाले वैद्यराजों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न गांवों से आए वैद्यराजों ने भी संबोधित कर अपना अनुभव बांटा। सभी ने इस बात पर जोर दिया कि जिन जड़ी बूटियां का हम उपयोग कर रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन एसडीओ देवलाल दुग्गा ने किया, इस अवसर पर परिक्षेत्र अधिकारी देवेन्द्र सिंह वर्मा, नव नियुक्त वनक्षेत्रपाल श्रृष्टि ठाकुर, परिक्षेत्र सहायक श्रीधर स्नेही, वनरक्षक गोपाल नाग, जयराज पात्रा शामिल रहे।
विलुप्त वनौषधियों का कर रहे संरक्षण : अवस्थी
समारोह को संबोधित करते हुए परम्परागत ज्ञान एवं वनौषधि विकास फाउंडेशन बिलासपुर के निदेशक निर्मल अवस्थी ने बताया कि, बस्तर में 2000 से अधिक औषधीय पेड़-पौधे हैं, 102 प्रकार की सिर्फ भाजी है। कई वनौषधियां विलुप्त की कगार में पहुंच गई हैं, इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए वर्ष 1989 से लगातार काम कर रही है।
