गाइड- जिप्सी चालकों ने DFO को सौंपा ज्ञापन: बारनवापारा में बाहरी कारो और बाइक का प्रवेश रोकने की मांग

ज्ञापन सौंपते हुए
कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध बारनवापारा अभयारण्य की जंगल सफारी, जो अब तक हजारों पर्यटकों के लिए रोमांच और वन्य जीवन का सजीव अनुभव रही है। आज अस्तित्व के संकट से गुजर रही है। जंगल सफारी को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने वाले प्रशिक्षित गाइड और जिप्सी चालकों ने अब अपनी समस्याओं और नाराज़गी को लेकर डीएफओ (वन मंडल अधिकारी) को ज्ञापन सौंपा है।
जंगल सफारी एक रोमांचकारी अनुभव होता है और इस रोमांच में प्रशिक्षित गाइड और जिप्सी वाहन में चालक सुरक्षित रूप से पर्यटकों को जंगल में घूमता है, उसकी भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होती है। बारनवापारा अभयारण्य में जंगल सफारी का संचालन बारनवापारा मुख्य प्रवेश द्वार से किया जाता रहा है। जिसे विगत 10 से 12 वर्षों से स्थानीय वन प्रबंधन समिति के सदस्यों के द्वारा गाइड और वाहन चालन का कार्य किया जा रहा है। लेकिन वन विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 में पर्यटकों को सीधे बार नयापारा मुख्य द्वार पहुंचने से पहले ही इसे 10 से 15 किलोमीटर दूर रवाना पकरीद और बरबसपुर जैसे बाहरी बैरियर से संचालित करने का निर्णय लिया गया। जिसका जिप्सी-गाइड संघ द्वारा विरोध भी किया गया था। इसके बावजूद विभाग ने स्थानीय हितों की अनदेखी करते हुए निर्णय को लागू कर दिया, जिससे अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।

बाहरी प्रवेश द्वारों से अंदर आ जाते हैं अनियंत्रित मोटरसाइकिल और आवारा श्वान
बारनवापारा ब्रांड में प्रतिदिन 500 के लगभग पर्यटक आते थे जो अब घटकर आधे से भी कम हो गए हैं। बाहरी प्रवेश द्वारों से अनियंत्रित मोटरसाइकिल, चारपहिया वाहन और आवारा कुत्तों की जंगल में आवाजाही बढ़ गई है। इससे वन्यप्राणियों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है और शिकार जैसी घटनाओं की आशंका बनी रहती है। साथ ही क्षेत्र के जिप्सी चालकों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है। विभाग द्वारा पूर्व में 10 जिप्सी निधि पर दी गई थीं, जिनकी किश्त अब तक बकाया है। जिसे समिति के सदस्य किश्तों में जमा कर रहे हैं यदि सफारी बंद रहेगी तो उनकी भरपाई कैसे होगी।
बाहरी लोगों और स्थानीय गाइडों के बीच विवाद
इसके अतिरिक्त बाहरी बैरियर से सफारी संचालन के कारण पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है। जंगल में वन्यजीवों की साइटिंग नहीं होने के कारण पर्यटक दोबारा आने से कतराते हैं। स्थानीय गाइड, चालक और युवा बेरोजगार हो गए हैं। आए दिन बाहरी लोगों और स्थानीय गाइडों के बीच विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है।
वन सुरक्षा समिति और स्थानीय संघों की ये है मांग
अतः वन सुरक्षा समिति और स्थानीय संघों की मांग है कि, पुराने गाइड एवं वाहन चालकों को कम नहीं मिल रहा है जिससे वह बेरोजगार हो गए हैं। उनके रोजगार पर भी असर पड़ रहा है साथ ही साथ वन विभाग को मिलने वाले राजस्व में भी नुकसान हो रहा है। बाहर पर्यटकों को रोक देने से पर्यटक निजी रिसोर्ट में जा रहे हैं। इसका फायदा निजी रिसोर्ट मालिकों को मिल रहा है। इसलिए सदस्यों कि मांग है कि, आने वाले नवंबर माह से बारनवापारा को पूर्ववत सफारी संचालन किया जाए। अन्यथा समिति विरोध दर्ज कराएगी और इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी वन विभाग की होगी।
