मानसून की बेरुखी ने बढ़ाई किसानों की चिंता: खेतों में पड़ने लगी दरारें, गंगरेल बांध का पानी छोड़ने की मांग

बलौदाबाजार में पानी ना गिरने की वजह से खेतों में दरारें पड़ने लगी है
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सूखे खेत में बैठा हुआ चिंतित किसान 

बलौदाबाजार में पानी ना गिरने की वजह से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं और धान की फसल मुरझाकर पीली पड़ने लगी है।

कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में मानसून की अनियमितता ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। पिछले पखवाड़े से बारिश थमने के कारण खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं और धान की फसल मुरझाकर पीली पड़ने लगी है। किसान इसे अपनी मेहनत पर पानी फिरने जैसा मान रहे हैं और प्रशासन से तुरंत गंगरेल बांध से नहरों में पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि आने वाले एक सप्ताह में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं कराया गया, तो इस साल की पैदावार में भारी गिरावट तय है।

पिछले 15 दिनों से जिले में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। कई गांवों में तो बादल छाए भी नहीं, जिसके कारण खेतों की नमी पूरी तरह खत्म हो चुकी है। अनुमान है कि 70% से अधिक खेत सूख चुके हैं। किसान अपने खेत बचाने के लिए तीन- चार पंप लगाकर सिंचाई कर रहे हैं, लेकिन डीज़ल और बिजली का खर्च तेजी से बढ़ रहा है। खेती की लागत पहले ही दोगुनी हो चुकी है और छोटे किसानों के लिए यह अतिरिक्त बोझ असहनीय हो गया है।

किसानों को फसल बर्बाद होने का डर

किसानों का कहना है कि यदि गंगरेल बांध से तुरंत पानी छोड़ा जाए, तो जिले के हजारों हेक्टेयर में लगाई गई धान की फसल बचाई जा सकती है। गगरेल का पानी बलौदाबाजार जिलों की नहरों में पहुंचेगा और खेतों की प्यास बुझाएगा। किसानों ने साफ कहा है कि अगर अगले सात दिनों में पानी नहीं मिला, तो न केवल मेहनत बर्बाद होगी बल्कि कर्ज का बोझ भी बढ़ेगा। पैदावार में कमी से बाजार में धान की आवक घटेगी और जिले की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।

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