आयुष-भारती यूनिवर्सिटी में विवाद: हाईकोर्ट ने कहा - चीफ सेक्रेटरी करें निराकरण

बिलासपुर हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में एक सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी के बीच अधिकार को लेकर विवाद छिड़ गया है। भारती यूनिवर्सिटी ने बेचलर ऑफ फिजियोथैरेपी फैकल्टी प्रारंभ करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। राज्य सरकार ने नई फैकल्टी के सशर्त अनुमति दे दी। राज्य सरकार ने कहा कि इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रबंधन को आयुष यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेनी होगी। राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए भारती यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
मामले की सुनवाई बाद जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने चीफ सेक्रेटरी को एक महिने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। भारती यूनिवर्सिटी की ओर से दायर याचिका पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि यूनिवर्सिटी अपने कैंपस में नया फैकल्टी प्रारंभ करने जा रही है बेचलर ऑफ फिजियोथैरेपी। इसके लिए राज्य सरकार समक्ष आवेदन लगाया था। इस दौरान फैकल्टी के अनुरूप यूनिवर्सिटी कैंपस में इन्फ्रास्ट्रक्चर भी तैयार कर लिया है और फीस भी जमा करा दी है। कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है।
30 दिनों के भीतर मामले का निराकरण करने का दिया निर्देश
कमेटी ने 50 सीट की अनुशंसा कर दी है। राज्य सरकार ने वर्ष 2022 में आयुष यूनिवर्सिटी से संबद्धता की शर्त पर यूनिवर्सिटी में नई फैकल्टी प्रारंभ करने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता के वकील ने अधिकार क्षेत्र का उल्लेख करते हुए सिंगल बेंच को बताया कि एक यूनिवर्सिटी दूसरे यूनिवर्सिटी से कैसे संबद्ध होगा। हम अपने आपमें स्वतंत्र संस्थान है। हम नई फैकल्टी प्रारंभ कर रहे हैं, नई कालेज तो खोल नहीं रहे। राज्य शासन की ओर से जवाब के बाद हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को कोर्ट के आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर मामले का निराकरण करने का निर्देश दिया है।
पुनर्विचार याचिका खारिज
हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय द्वारा विस्फोटक अधिनियम के आरोप तय किए जाने के खिलाफ पेश पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट से स्थगन होने के कारण मामले में पिछले 28 वर्ष से सुनवाई लंबित है। जस्टिस बीडी गुरु ने अपने आदेश में कहा कि आरोप तय करने के प्रारंभिक चरण में हस्तक्षेप न करना वैधानिक दायित्व है। याचिकाकर्ता हुन्नैद हुसैन रायपुर. केजूराम देवांगन निवासी ग्राम मुशवाड़ी, थाना सिमगा, तहसील और जिला रायपुर ने विस्फोटक अधिनियम के तहत विचरण न्यायालय द्वारा आरोप तय किए जाने के विरुद्ध 1997 में एमपी हाईकोर्ट में पुनः विचार करने याचिका पेश की थी, जहां मामले की सुनवाई पर रोक लगाई गई। राज्य गठन के बाद प्रकरण को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट प्रेषित किया गया था। 25 वर्ष बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने याचिका पर निर्णय पारित किया है। आवेदक हुन्नेद हुसैन द्वारा वर्तमान पुनर्विचार याचिका दायर की गई है।
