सीएसवीटीयू में कुलपति बनने 64 अर्जियां: पहली कमेटी भंग, अब नई कमेटी सुझाएगी तीन नाम

स्वामी विवेकानंद तकनीकी विवि
रायपुर। स्वामी विवेकानंद तकनीकी विवि को आठ माह बाद भी नया कुलपति नहीं मिल सका है। नवीन शैक्षणिक सत्र से पूर्व कुलपति मिलने की राह देख रहे तकनीकी विवि को एक और झटका लगा है। कुलपति चयन के लिए पूर्व में बनाई गई कमेटी भंग हो गई है। अब नई कमेटी बनाई जा रही है, जो राजभवन को तीन नाम सुझाएगी। इन तीन नामों में तय किया जाएगा कि अगला कुलपति कौन होगा। दरअसल, कुलपति चयन के लिए बनाई गई कमेटी मात्र दो माह के लिए होती है। निर्धारित अवधि में चयन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाने की स्थिति में कमेटी स्वतः भंग हो जाती है।
नवंबर माह तक आवेदन मंगाए जाने के बाद जनवरी माह में कमेटी बनाई गई थी। फरवरी में कार्यकाल पूरा होने के बाद कमेटी को एक माह का एक्सटेंशन मार्च माह तक दिया गया। चूंकि एक बार एक्सटेंशन दिया जा चुका है, अतः अब नए सिरे से कमेटी का गठन होगा। पूर्व में बनाई गई कमेटी में गुवाहटी एम्स के चेयरमैन सहित दिल्ली और उत्तरप्रदेश के एक-एक प्राध्यापक शामिले थे। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि नई कमेटी में पुराने सदस्यों को ही रखा जाएगा अथवा नए सदस्यों की भर्ती होगी।
यूटीडी से एक भी आवेदन नहीं
अंदरूनी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुलपति बनने के लिए 64 प्राध्यापकों ने आवेदन दिए हैं। इनमें से एक भी नाम विवि अध्ययनशाला से नहीं है। शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के प्राचार्य भी कुलपति बनने की रेस में हैं। जो नाम कुलपति पद की रेस में सामने आ रहे हैं, उनमें जगदलपुर शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एके दुबे, बिलासपुर इंजीनियरिंग महाविद्यालय के प्राचार्य बीएस चावला, एनआईटी रायपुर के डॉ. समीर वाजपेयी, डॉ. आरएन खरे, डॉ. सूर्यप्रताप शुक्ला के नाम सामने आ रहे हैं। इनके अतिरिक्त राज्य के बाहर से भी आवेदन मिले हैं।
बढ़ाया गया प्रभार
सीएसवीटीयू के पूर्व कुलपति प्रो. एमके वर्मा का कार्यकाल बीते वर्ष अक्टूबर में समाप्त हुआ था। इसके बाद रविवि के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ल को प्रभार सौंपा गया। नियमतः प्रभार केवल 6 माह तक ही दिया जा सकता है। शुरुआत में प्रो. शुक्ल को 6 माह का प्रभार दिया गया। प्रभार समाप्त होने के बाद उनके प्रभार में दो माह की वृद्धि की गई। अब बढ़ाया गया समय भी समाप्त होने की कगार पर है। 16 जून से नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारंभ हो जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कई बिंदु इस वर्ष लागू किए जाएंगे। कुलपति नहीं होने के कारण निर्माण कार्य और नवीन भर्ती भी अवरूद्ध हैं।
