छत्तीसगढ़ में रखी जा रही सुशासन की बुनियाद: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति और प्रशासनिक सुधारों को मिल रही नई दिशा

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की ज़ीरो टॉलरेंस नीति से भ्रष्टाचार के सारे रास्ते बंद
रायपुर। भारत के संघीय ढांचे में छत्तीसगढ़ एक अपेक्षाकृत नया राज्य है, जिसकी स्थापना वर्ष 2000 में हुई थी। राज्य के गठन के शुरुआती वर्षों में विकास की अपार संभावनाओं के बावजूद प्रशासनिक ढांचे में कई चुनौतियाँ मौजूद थीं। इनमें प्रमुख समस्या थी भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में पारदर्शिता का अभाव। जनता को मूलभूत सेवाओं के लिए भी भटकना पड़ता था। समय पर फाइलों का न निपटना, योजनाओं का धरातल तक न पहुँच पाना और खरीदी-बिक्री में अनियमितताएँ आम बात थीं।
ऐसे परिदृश्य में छत्तीसगढ़ सरकार ने सुशासन की बुनियाद को मजबूत करने के लिए भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति को लागू किया। इस नीति का उद्देश्य है- भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी, जवाबदेह और डिजिटल शासन। इसके अंतर्गत अनेक प्रशासनिक सुधार किए गए, जिनसे शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिले।

1. अटल मॉनिटरिंग पोर्टल : योजनाओं की पारदर्शी निगरानी
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने विकास कार्यों की गति और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अटल मॉनिटरिंग पोर्टल की शुरुआत की। इस पोर्टल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में रखा गया है।
- इस पोर्टल पर विभिन्न विभागों की योजनाओं का पूरा डेटा उपलब्ध होता है।
- अधिकारी और आम जनता, दोनों इसकी मदद से जान सकते हैं कि किसी योजना का वर्तमान स्टेटस क्या है।
- बजट उपयोग, कार्य की प्रगति और लक्ष्य की पूर्ति का आकलन अब ऑनलाइन संभव है।
- यह पोर्टल शासन की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाता है और जनता के विश्वास को मजबूत करता है।

2. GeM (Government e-Marketplace) पोर्टल : खरीदी में पारदर्शिता
- पहले सरकारी खरीदी की प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियाँ और बिचौलियों की भूमिका रहती थी। इसे रोकने के लिए GeM पोर्टल को लागू किया गया।
- अब हर शासकीय खरीदी सीधे ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होती है।
- सप्लायरों को भी समान अवसर मिलता है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ी है।
- बिचौलियों की भूमिका खत्म होने से लागत में बचत होती है और भ्रष्टाचार की संभावना घटती है।
- GeM पोर्टल से छत्तीसगढ़ ने सरकारी खर्च में बचत के साथ-साथ ईमानदारी और दक्षता को भी बढ़ावा दिया है।

3. ई-ऑफिस प्रणाली : डिजिटलीकरण की ओर कदम
- ई-ऑफिस प्रणाली ने राज्य प्रशासन में एक बड़ा बदलाव किया है।
- अब फाइलें केवल कागज़ पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि डिजिटल रूप से भी संचालित होती हैं।
- किसी भी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा किए गए कार्यों की डिजिटल ट्रैकिंग संभव हो गई है।
- फाइलों के अटकने, गुम होने और देरी से निपटान जैसी समस्याएँ कम हुई हैं।
- निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक तेज और पारदर्शी हो गई है।
- यह प्रणाली “पेपरलेस गवर्नेंस” की दिशा में छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण कदम है।

4. लोक सेवा गारंटी अधिनियम : जनता के अधिकारों की रक्षा
- छत्तीसगढ़ ने नागरिकों को समय पर सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए लोक सेवा गारंटी अधिनियम लागू किया।
- इस अधिनियम के अंतर्गत वर्तमान में 13 शासकीय विभागों की सेवाएँ शामिल हैं।
- तय समय सीमा में सेवा न मिलने पर संबंधित अधिकारी पर दंडात्मक प्रावधान है।
- आम जनता अब न केवल समय पर सेवाएँ पा रही है, बल्कि अपने अधिकारों को लेकर अधिक सजग भी हो रही है।
- यह अधिनियम शासन और जनता के बीच विश्वास का सेतु बना है।
5. अन्य महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार
इन प्रमुख कदमों के अलावा छत्तीसगढ़ सरकार ने कई अन्य सुधार भी लागू किए हैं—
- ऑनलाइन ट्रांसफर-पोस्टिंग सिस्टम – कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले अब अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से हो रहे हैं।
- ई-टेंडरिंग व्यवस्था – ठेकों और निविदाओं में अब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है, जिससे गड़बड़ी की संभावना कम हो गई है।
- जन शिकायत निवारण पोर्टल – जनता अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर सकती है और उच्च स्तर से उनकी निगरानी की जाती है।
- डिजिटल पेमेंट सिस्टम – कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देकर रिश्वतखोरी की प्रवृत्ति कम की जा रही है।
- सामाजिक अंकेक्षण (Social Audit) – विभिन्न योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण कर जनता को प्रत्यक्ष निगरानी का अधिकार दिया गया है।

6. जीरो टॉलरेंस नीति : एक दृष्टिकोण
- छत्तीसगढ़ सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे ठोस कार्यवाही में बदला गया है।
- भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई।
- रिश्वतखोरी में पकड़े जाने पर निलंबन और सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई।
- प्रशासनिक सुधारों के साथ-साथ तकनीकी नवाचार का अधिकतम उपयोग।
- इस नीति से शासन की कार्यसंस्कृति में सकारात्मक बदलाव आया है।
7. भविष्य की दिशा
- इन सुधारों के बाद भी सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। आगे चलकर
- ब्लॉकचेन तकनीक से योजनाओं और भुगतान की निगरानी।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित शिकायत निवारण प्रणाली।
- ई-गवर्नेंस सेवाओं का ग्राम पंचायत स्तर तक विस्तार।
- नागरिकों के लिए मोबाइल आधारित पोर्टल और ऐप्स, जिससे सेवाएं उनकी उंगलियों पर उपलब्ध हों।
