गांजा के धंधे में अब घुमंतू महिलाएं भी: टिटलागढ़ का नशा सिर चढ़कर बोल रहा

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ललित राठोड़- रायपुर। राजधानी में गांजा बेचने वालों ने पुलिस की सख्त कार्रवाई से बचने के लिए अब अपना तरीका और ठिकाने दोनों बदल दिए हैं। पहले जहां पुरुष खुलेआम गांजा बेचते थे, वहीं अब यह काम महिलाओं के जरिए कराया जा रहा है। गांजा तस्कर दूसरे राज्यों से नशा खरीदकर शहर के अलग-अलग इलाकों में फैला रहे हैं। पुलिस कार्रवाई के बावजूद इनकी संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है। अब ये लोग भीड़ वाले इलाकों, तंग गलियों और यहां तक कि थानों के महज 100 मीटर के दायरे में भी गांजा की पुड़िया खुलेआम बेच रहे हैं।
हरिभूमि ने शहर के ऐसे कई इलाकों की पड़ताल की, जहां गांजा बेचने का धंधा अब भी बेरोकटोक चल रहा है। राजधानी में कालीबाड़ी से लेकर आमानाका, लाखेनगर, कुकुरबेड़ा, डीडी नगर की सेंचुरी कॉलोनी, पंडरी ओवरब्रिज के नीचे, मोतीबाग दरगाह के सामने समेत कई बस्तियों में खुलेआम गांजा बेचा जा रहा है। इन इलाकों में नशा तस्करों ने ऐसे ठिकाने बना लिए हैं, जहां पुलिस की नजर आसानी से नहीं पहुंचती, और यदि कभी कार्रवाई होती भी है, तो कुछ दिन बाद फिर से कारोबार शुरू हो जाता है।
घूमंतु महिला दिनभर में बेच रही 100 से अधिक गांजा पुड़िया
रायपुर के आमानाका ओवरब्रिज के नीचे निगम के सब्जी शेड में एक घूमंतु महिला खुले आम गांजा बेच रही है। हरिभूमि की पड़ताल में सामने आया कि महिला सुबह से देर रात तक 100 रुपए की गांजा पुड़िया बनाकर लोगों को बेच रही है। सेड में लगातार घूमंतु लोगों की आवाजाही बनी रहने से किसी को शक भी नहीं होता। वहीं एक युवक बाहर खड़ा रहकर हर आने-जाने वाले पर नजर रखता है, ताकि पुलिस या संदिग्ध कोई भी व्यक्ति दिखे, तो तुरंत सतर्क हो सकें। यह राजधानी में नशे के कारोबार का नया तरीका बन गया है।
केस 1 आमानाका
रिपोर्टरः ताजा गांजा मिलेगा?
महिला (बेचने वाली): ये ले पुड़िया पकड़, और 100 रुपया दे।
रिपोर्टरः कहां का गांजा है, ये तो बताओ?
महिलाः कड़क माल है... कल ही टिटलागढ़ से आया है।
रिपोर्टरः इसमें खास क्या बात है?
महिलाः पीकर देख लेना... गांजा पत्तीदार है।
केस 2 : लाखेनगर
रिपोर्टरः पुड़िया मिलेगी क्या?
महिलाः क्या पुड़िया चाहिए तुझे?
रिपोर्टरः गांजा की चाहिए। नया आदमी नहीं हूं।
महिलाः 100 का है। जल्दी पैसा दे और निकल यहां से।
रिपोर्टरः ऑनलाइन पैसे दे दूं
महिलाः नहीं, कैश ही चाहिए।
केस 3 : कुकुरबेड़ा
रिपोर्टरः गांजा मिलता था यहां, जगह बदल गई है क्या?
युवकः कुछ दिन पहले पुलिस की कार्रवाई हुई थी, अभी बंद है।
रिपोर्टरः अभी कहां मिल पाएगा गांजा?
युवकः कुछ दिन बाद नई जगह से बेचना शुरू करेंगे। अभी नया माल नहीं आया है।
टिटलागढ़ के पत्तीदार गांजे की बढ़ी डिमांड
हरिभूमि की पड़ताल में सामने आया कि रायपुर में हर महीने करीब हजार किलो गांजा अलग-अलग रास्तों से पहुंच रहा है। तस्करों ने बताया कि सबसे ज्यादा डिमांड टिटलागढ़ (ओडिशा) के गांजे की है। इसकी खासियत इसकी चौड़ी और फैली हुई पत्तियां हैं, जिससे नशा अधिक होता है और खरीदने वाले इसे प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके अलावा रायगढ़ा, नागपुर, मध्यप्रदेश और बिहार से भी गांजा मंगाया जा रहा है। तस्करों ने कबूला कि वे हर महीने सप्लाई का सोर्स बदलते रहते हैं, ताकि पुलिस की कार्रवाई से बच सकें। ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर वाले इलाके इस अवैध व्यापार का बड़ा अड्डा बनते जा रहे हैं।
