सरकारी राशि की बंदरबांट: आदिवासी छात्रावासों के खर्च का हिसाब गायब, दस्तावेज अवलोकन में 84 में से 80 छात्रावास वार्डन लापता

सहायक आयुक्त कार्यालय
एनिश पुरी गोस्वामी- मोहला। छत्तीसगढ़ के मोहला, मानपुर- अंबागढ़, चौकी जिले में RTI में बड़ा खुलासा हुआ है। आदिवासी छात्रावासों के खर्च का हिसाब गायब है। दस्तावेज अवलोकन में 84 में से 80 छात्रावास वार्डन लापता दिखाई दे रहे हैं। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत कराए गए अवलोकन में मोहला, मानपुर- अंबागढ़, चौकी जिले के समस्त प्री-मैट्रिक आदिवासी कन्या, बालक छात्रावास एवं आदिवासी कन्या,बालक आश्रम-शालाओं के वित्तीय अभिलेख मे गंभीर रूप से खामियां सामने आईं है।
जिले भर के आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए स्थापित 84 हॉस्टल आश्रमों मे शिष्यवृत्ति राशि, त्योहारी अवकाशों की बचत तथा मासिक 15 प्रतिशत निधि से किए गए खर्चों से जुड़े कई वर्षों का बिल-व्हाउचर प्रस्तुत नहीं किए गए। जिससे आदिवासी बच्चों के नाम पर मिलने वाली सरकार कि लाखो रुपए के शासकीय धन राशि के उपयोग पर बंदरबांट का मामला सामने आया है। कुल मिलाकर हॉस्टल आश्रमों के वार्डन आदिवासी छात्र-छात्राओं के हित की शासकीय राशि बच्चों का निवाला छीनकर मिल भाट के पचा लिए है।
दिखाए गए अधूरे और अप्रमाणिक अभिलेख
उल्लेखनीय है कि, प्रेस क्लब के सदस्य मनीष निर्मलकर की ओर से 11 नवंबर को सूचना के अधिकार के तहत जिले भर के तमाम हॉस्टल आश्रम को आवंटित वित्तीय आय, व्यय, कृय की गई सामग्री की सत्य प्रतिलिपि मांगी गई। कार्यालय सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास मोहला द्वारा 11 दिसंबर 2025 को दोपहर 12 बजे अवलोकन हेतु आमंत्रित किया गया। निर्धारित समय पर अवलोकन के दौरान आवेदक को जो अभिलेख दिखाए गए, वे अधूरे, असंगत और कई स्थानों पर अप्रमाणिक पाए गए है। कई सत्रों के मूल वित्तीय दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए गए। जिले भर के 84 आदिवासी कन्या छात्रावास, कन्या आश्रम,बालक छात्रावास, बालक आश्रमो के सिर्फ चार वार्डन जानकारी लेकर कार्यालय में उपस्थित हुए बाकी 80 वार्डन अवलोकन दिनांक को लापता हो गए।
हॉस्टल आश्रमों से यह मांगी गई थी जानकारी
RTI में प्रेस क्लब सदस्य ने स्पष्ट रूप से तीन प्रमुख बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। पहला, प्रतिमाह प्राप्त शिष्यवृत्ति राशि से व्यय किए गए खर्चों के बिल-व्हाउचर (सत्र 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25) दूसरा, दशहरा, दीपावली एवं शीतकालीन अवकाश अवधि के दौरान बची राशि से सामग्री क्रय के बिल-व्हाउचर। तीसरा, प्रतिमाह 15 प्रतिशत निधि से की गई खरीदी के बिल-व्हाउचर। अवलोकन में इन तीनों ही बिंदुओं से जुड़े रिकॉर्ड पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं कराए गए। अवलोकन के दौरान सामने आई स्थिति ने छात्रावास प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जिन योजनाओं का उद्देश्य आदिवासी छात्र-छात्राओं के भोजन, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करना है। उन्हीं योजनाओं के तहत खर्च की गई राशि का लेखा-जोखा हॉस्टल आश्रम वार्डेनों के पास स्पष्ट नहीं होना पारदर्शिता के दावों को कमजोर करता है।
RTI कर्ता ने उठाए सवाल
RTI आवेदक का कहना है कि यदि रिकॉर्ड मौजूद हैं तो उन्हें प्रस्तुत करने में हिचक क्यों? यदि रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं तो जिम्मेदार अधिकारियों और संस्था प्रभारियों की जवाबदेही अब तक तय क्यों नहीं की गई। आवेदक ने पूरे मामले की जिला स्तर पर स्वतंत्र जांच और राज्य स्तरीय विशेष ऑडिट कराने की मांग की है। ताकि, यह स्पष्ट हो सके कि विभिन्न मदों में आवंटित शासकीय राशि का वास्तविक उपयोग कहां और कैसे हुआ है? इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आवेदक ने प्रथम अपील दायर कर दी है। साथ ही यह भी संकेत दिया गया है कि, यदि समयबद्ध और पारदर्शी कार्रवाई नहीं हुई तो प्रकरण को राज्य सूचना आयोग और उच्च स्तरीय निगरानी संस्थाओं तक ले जाया जाएगा।
पाप छुपाने पहले ही दे चुके हैं चार लाख
खैरागढ़ निवासी एक महिला आरटीआई कार्यकर्ता ने इसी तरह की जानकारी मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले के समस्त हॉस्टल आश्रमों से मांगी थी। जिसके एवज में शिकायत नहीं करने को लेकर मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले के समस्त वार्डेनों ने एकजुट होकर लगभग चार लाख रुपए की राशि महिला को विभिन्न स्रोतों से भुगतान कर चुके हैं जिसका मामला उबाल में आने के बाद मोहला थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है।
इन बिंदुओं पर उठी जांच की मांग, RTI में उठे ये सवाल
शिष्यवृत्ति राशि के बिल-व्हाउचर की उच्च स्तरीय जांच,त्योहारी अवकाश की बचत राशि कहां खर्च हुई। 15% निधि से खरीदी गई सामग्री का रिकॉर्ड की पड़ताल आदि।
वार्डन बने हुए हैं जेलर, आवंटन राशि का बंटाधार
शासन का सरकारी हॉस्टल आवास नहीं यहां से भविष्य तैयार होते हैं। शिष्यवृत्ति, त्यौहारी अवकाशों की बचत और मासिक निधियों जैसी व्यवस्थाएँ इसलिए बनाई गई हैं। ताकि, बच्चों को पर्याप्त पौष्टिक आहार,भोजन, जरूर की सामग्री और पढ़ाई के लिए सुरक्षित वातावरण मिल सके। लेकिन मोहला, मानपुर- अंबागढ़, चौकी जिले में बच्चों का निवाला छीनकर वार्डन और सहायक आयुक्त कार्यालय अपना तिजोरी भरने में लगा है।
सहायक आयुक्त ने नहीं दिया कोई जवाब
हॉस्टल आश्रमों के वित्तीय अनिमयताओं को लेकर सहायक आयुक्त संजय कुर्रे से उनका पक्ष लेने उनसे संपर्क करने का कई बार प्रयास किया गया। लेकिन वे मौजूद नहीं हुए।
