टोकन जारी होते ही फुल स्लॉट: ‘टोकन तुहर हाथ ऐप’ फेल, धान खरीदी की लिमिट भी घटी, दोहरी मार झेल रहे किसान

टोकन जारी होते ही फुल स्लॉट होने से किसान परेशान
कुश अग्रवाल- बलौदा बाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू होते ही किसान अपनी फसल को समितियों में बेचने के लिए तैयार हैं। लेकिन ‘टोकन तुहर हाथ ऐप’ इस सीजन में राहत के बजाय बड़ी परेशानी साबित हो रहा है। पोर्टल आधारित इस प्रणाली की तकनीकी खामियों ने किसानों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। सर्वर डाउन, एरर, लिंक फेल और निर्धारित समय पर स्लॉट न खुलने जैसी समस्याओं के कारण किसान कई दिनों से टोकन प्राप्त करने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है।
किसानों का कहना है कि, टोकन जारी होने के 1–2 मिनट के भीतर ही पूरा कोटा फुल बता दिया जाता है, जिससे उन्हें रोजाना निराश होना पड़ रहा है। धान खरीदी में पारदर्शिता और भीड़भाड़ रोकने के उद्देश्य से शासन ने यह व्यवस्था लागू की है। इसके तहत 70% टोकन मोबाइल ऐप के जरिए ऑनलाइन और 30% टोकन समितियों द्वारा मैन्युअल काटे जाने थे।
सर्वर डाउन, किसानों में असंतोष
खरीदी केन्द्रों के निरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में किसान मोबाइल लेकर टोकन का इंतजार करते दिखे। लेकिन सर्वर डाउन होने और लिंक फेल रहने से सारे प्रयास विफल रहे। इस वर्ष कई समितियों की प्रतिदिन खरीदी सीमा भी घटा दी गई है। जहां पहले 1000 से 1200 क्विंटल धान खरीदी होती थी, वहीं अब यह सीमा कम होकर मात्र 700 क्विंटल रह गई है। इससे भी किसानों में असंतोष है।

कम धान आने से सीमा निर्धारित, आगे बढ़ाई जाएगी
इस संबंध में कलेक्टर दीपक सोनी का कहना है कि, शुरुआत में समितियों पर धान कम आ रहा है। किसानों की संख्या और खरीदी दिनों को देखते हुए सीमा निर्धारित की गई है। आवश्यकता पड़ी तो आगे लिमिट बढ़ाई जाएगी। जिले में 1,65,000 पंजीकृत किसान धान बेचते हैं। यह प्रक्रिया 129 सहकारी समितियों और 166 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से की जाती है। इस वर्ष 9,15,000 मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित है और खरीदी 31 जनवरी तक चलेगी।
विभाग का ऐप से पल्ला झाड़ा, शिकायतों पर कार्रवाई के संकेत
सहकारिता एवं खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ‘टोकन तूहर हाथ ऐप’ एनआईसी से आपरेट होता है, विभाग का नहीं है, इसलिए तकनीकी खामियों के लिए वे सीधे जिम्मेदार नहीं हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि सर्वर संबंधी शिकायतें संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई जाएंगी।
हेल्प डेस्क न होने से किसान बेहाल
उपार्जन केंद्रों पर तकनीकी सहायता या हेल्प डेस्क की व्यवस्था न होना भी बड़ी समस्या बन गया है। कई किसानों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है, या उन्हें ऐप चलाना नहीं आता। ऐसे किसानों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनाई गई है, जिससे उन्हें बार-बार दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। कई केंद्र प्रभारियों ने भी सिस्टम की कमियों को स्वीकार किया है।
समस्याओं के तुरंत समाधान की मांग
केंद्र के प्रभारियों का कहना है कि, पोर्टल पर स्लॉट समय पर नहीं खुलते, और खुलते ही अचानक भीड़ बढ़ जाने से सर्वर ओवरलोड होकर हैंग हो जाता है। इससे किसानों का भरोसा कमजोर हो रहा है। लगातार परेशान किसानों ने मांग की है कि उनकी समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए। यदि यह संभव न हो, तो टोकन सिस्टम पर अस्थायी रोक लगाकर वैकल्पिक व्यवस्था लागू की जाए, ताकि खरीदी प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके और किसानों को बार-बार परेशान न होना पड़े।
