शिक्षक दिवस पर विशेष: आधुनिक और वैदिक शिक्षा का अनोखा संगम

शिक्षक दिवस पर विशेष : आधुनिक और वैदिक शिक्षा का अनोखा संगम
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महासमुंद के ग्राम कोसरंगी में संचालित आर्ष गुरुकुल ज्योति आश्रम में बीते 21 सालों से गुरुकुल का संचालन हो रहा है।

रत्नेश सोनी/महासमुंद। वैदिक शिक्षा धरोहर है और वर्तमान में आधुनिक शिक्षा आवश्यकता। इन दोनों की संगम स्थली के तौर पर महासमुंद के ग्राम कोसरंगी में संचालित आर्ष गुरुकुल ज्योति आश्रम में बीते 21 सालों से गुरुकुल का संचालन हो रहा है। साथ ही यहां इंग्लिश मीडियम के छात्रों के लिए भी स्कूल संचालित हैं। आधुनिकता और संस्कृति को संजोनों के सामंजस्य के साथ संचालित इस आश्रम के गुरुकुल में 150 और इसके ही स्कूल में 250 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यहां वैदिक शिक्षा से अपनी प्राचीन धरोहर को बचाने का प्रयास हो रहा है, वहीं वर्तमान में कम्प्यूटर शिक्षा और एआई तक को छात्र पढ़ रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि यहां स्कूल हो या गुरुकुल, अध्ययनरत छात्र अथवा ब्रह्मचारी जीव रक्षा की परिकल्पना से जुड़कर शाकाहारी है और अपने घर परिवार को भी इस दिशा में जागरूक कर रहे हैं।

वर्षों से दे रहे वैदिक ज्ञान
शिक्षकों की चर्चा की जाए, तो यहां गुरुकुल में 9 आचार्य तकरीबन 15-17 वर्षों से लोगों को वैदिक ज्ञान, यज्ञ-हवन, पूजा पाठ, योगाभ्यास सहित अन्य वैदिक क्रियाओं की शिक्षा दीक्षा दे रहे हैं। वहीं अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने वाले शिक्षक वर्तमान शिक्षण पात्रता को पूरी करते हुए अध्यापन करा रहे हैं।

गुरुकुल में दिनचर्चा का ही महत्व
आचार्य सुरेश शास्त्री बताते हैं गुरुकुल में दिनचर्चा का ही महत्व है। ब्रह्म मुहूर्त से रात्रि 9 बजे तक ब्रह्मचारी यहां रहकर वेद पठन और संस्कृति को बचाने संस्कृत का अध्ययन कर रहे। शास्त्री जी बताते हैं कि यहां से पढ़कर आगे ओडिशा के अमसेना स्थित महर्षि दयानंद संस्कृत महाविद्यालय में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करते हैं। उन्होंने बताया कि संस्कृत के पारंगत यहां के 98 प्रतिशत छात्र आज बेहतर मुकाम हासिल कर पाए हैं। वहीं 2 प्रतिशत छात्र यहां से दीक्षा लेकर ब्रह्मचारियों को शिक्षा देकर संस्कृति की रक्षा में जुटे हैं।

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