स्वामी आत्मानंद महाविद्यालय में एक्सपेरिमेंटल लर्निंग: छात्रों ने फील्ड- असाइनमेंट के साथ दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

फील्ड- असाइनमेंट करती हुईं छात्राएं
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फील्ड- असाइनमेंट करती हुईं छात्राएं

स्वामी आत्मानंद महाविद्यालय के छात्रों ने एक्सपेरिमेंटल लर्निंग आधारित फील्ड-असाइनमेंट्स किया। इस दौरान उन्होंने पर्यावरण संबंधित कई मुद्दों का अध्ययन किया।

अनिल सामंत- जगदलपुर। जगदलपुर के स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने फील्ड- असाइनमेंट किया। इस दौरान उन्होंने समाचार–पत्र में खाद्य सामग्री पैक करने के खतरों और सिंगल-यूज पॉलिथीन के पर्यावरणीय संकट पर सर्वेक्षण किया। साथ ही अध्ययन के माध्यम से समाज को पर्यावरणीय जागरूकता का संदेश दिया।

प्राचार्य डॉ राजीव गुहे के नेतृत्व और प्राणी विज्ञान विभाग के डॉ. अतुल त्रिवेदी के मार्गदर्शन में बीएससी तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत एक्सपेरिमेंटल लर्निंग आधारित फील्ड-असाइनमेंट्स पूर्ण किया। इस दौरान सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर किए गए इन अध्ययनों ने विद्यार्थियों को वास्तविक परिस्थितियों से जोड़ते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को मजबूत किया।


समाचार–पत्र में खाद्य सामग्री पैक करने के खतरों पर किया अध्ययन
पहले असाइनमेंट में विद्यार्थियों सजल पांडे और अभिषेक जोशी ने लगभग 40 दुकानों का सर्वे कर समाचार–पत्र में खाद्य सामग्री पैक करने के खतरों पर विस्तृत अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि रीसाइकल्ड पेपर में मौजूद भारी धातुएँ और प्रिंटिंग इंक के रसायन गर्म खाद्य पदार्थों में तेजी से अवशोषित हो जाते हैं। एफएसएसएआई और डब्ल्यूएचओ दोनों ही इसे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जोखिमपूर्ण बताते हैं। अध्ययन में खुलासा हुआ कि कई विक्रेता एक ही तेल को बार-बार गर्म करते हैं, जिससे उसमें कैंसरकारी योगिक बनते हैं। विद्यार्थियों ने उपभोक्ताओं को इस प्रथा से बचने और केवल खाद्य- ग्रेड पैकिंग अपनाने की सलाह दी।

सिंगल-यूज पॉलिथीन के पर्यावरणीय संकट पर सर्वेक्षण
दूसरे असाइनमेंट में विद्यार्थियों साक्षी अग्रवाल, प्रेरणा टंडन और गीतिका यादव ने बाजार क्षेत्र में सर्वे कर पाया कि सस्ते और आसानी से उपलब्ध होने के कारण सिंगल-यूज पॉलिथीन अभी भी व्यापक रूप से उपयोग में है, जबकि इस पर कई प्रतिबंध लागू हैं। नॉन-बायोडिग्रेडेबल पॉलिथीन मिट्टी, जलस्रोतों और पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर हानि पहुँचा रही है। विद्यार्थियों ने कपड़े के थैलों, पेपर बैग तथा बायोडिग्रेडेबल विकल्पों को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई।


जोखिमकारी प्रथाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण
विद्यार्थियों के दोनों फील्ड-असाइनमेंट्स ने शहर के बाजारों में जाकर वास्तविक समस्याओं को देखा,दुकानदारों व उपभोक्ताओं से बात की,जोखिमकारी प्रथाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण किया और समाधान भी प्रस्तुत किए। अखबार में खाद्य पैकिंग से होने वाले रासायनिक खतरों से लेकर सिंगल-यूज पॉलिथीन की पर्यावरणीय मार तक,प्रत्येक अध्ययन ने समाज को जागरूक करने का स्पष्ट संदेश दिया। प्राचार्य के प्रोत्साहन तथा विभागीय मार्गदर्शन से विद्यार्थियों में जिम्मेदार नागरिकता,वैज्ञानिक सोच और शोध भावना का विकास हुआ, जो भविष्य की शिक्षा का मजबूत आधार बनेगा।



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