77 साल से सड़क के इंतजार में पोकसरी: बरसात में कीचड़ से पटा एकांगी मार्ग, ग्रामीण परेशान, विभाग उदासीन

77 साल से सड़क के इंतजार में पोकसरी
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बरसात में कीचड़ सड़क से परेशान ग्रामीण 

सरगुजा के बतौली ब्लॉक के पंचायत पोकसरी का 3 किमी मार्ग आज भी कच्चा–बरसात में टापू बन जाती सड़क, किसान-छात्र और मरीज परेशान, विभाग सिर्फ आश्वासन तक सीमित।

आशीष कुमार गुप्ता- बतौली, सरगुजा। आजादी के 77 साल बाद भी सरगुजा जिले के बतौली ब्लॉक के सबसे बड़े ग्राम पंचायत पोकसरी के ग्रामीण अब तक पक्की सड़क की सुविधा से वंचित हैं। ग्राम पंचायत को जोड़ने वाला 3 किलोमीटर लंबा एकांगी मार्ग हर बरसात में कीचड़ से भरकर ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा देता है। हालात यह हैं कि पैदल चलना भी दूभर हो गया है और पंचायत विभाग की उदासीनता से यह मार्ग ग्रामीणों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी का अभिशाप बन गया है।

गौरतलब है कि यह सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के सुवारपारा से मैनपाट के वंदना पंचायत तक जाती है। इस मार्ग पर पोकसरी और चिपरकाया पंचायत के हजारों ग्रामीण आश्रित हैं। बारिश शुरू होते ही यह कच्ची सड़क दलदल में बदल जाती है, जिससे किसानों को खेतों तक पहुंचने, स्कूली बच्चों को शिक्षा संस्थानों तक जाने और मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि पप्पू चौहान के घर से मोतिया यादव के घर तक 3 किलोमीटर की यह सड़क दशकों से सिर्फ आश्वासन का शिकार है। हर साल ग्रामीण पक्की सड़क की मांग उठाते हैं, लेकिन नतीजा केवल कागजों और वादों तक ही सीमित रह जाता है।

बरसात में मार्ग बन जाता है टापू
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में यह मार्ग बड़े-बड़े गड्ढों और कीचड़ से सराबोर होकर टापू में तब्दील हो जाता है। ऐसे में आवागमन जान जोखिम में डालकर करना पड़ता है। बीमार पड़ने पर एंबुलेंस तक गांव तक नहीं पहुंच पाती। लोग मजबूरी में भगवान भरोसे बरसात खत्म होने का इंतजार करते हैं ताकि सड़क किसी तरह चलने लायक हो सके।


ग्रामीणों ने जताई नाराजगी
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से जल्द से जल्द इस मार्ग को डामरीकरण कर पक्की सड़क बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द पहल नहीं की गई तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

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