बिना लेआउट मंजूरी नाली निर्माण: बतौली पंचायत में सरपंच- सचिव ही बन बैठे इंजीनियर, विभाग बेखबर

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बतौली में बिना लेआउट मंजूरी नाली निर्माण

सरगुजा में बिना लेआउट, बिना स्वीकृति नाली निर्माण किया जा रहा है। आरईएस विभाग ने खुद को पूरी तरह अनजान बताया है, जिससे भ्रष्टाचार के आरोप गहराते जा रहे हैं।

आशीष कुमार गुप्ता - सरगुजा। जिले के जनपद पंचायत बतौली अंतर्गत दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र ग्राम पंचायत चिपरकाया मूर्ताडांड में विकास कार्य नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार बेखौफ दौड़ता नजर आ रहा है। यहां 15वें वित्त आयोग योजना के तहत ₹2.10 लाख की लागत से 70 मीटर नाली निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन शुरुआत से ही यह कार्य नियमों की धज्जियां उड़ती दिख रही है।

न लेआउट, न स्वीकृति, न सूचना बोर्ड
ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण स्थल पर-

  • स्वीकृत लेआउट मौजूद नहीं
  • तकनीकी स्वीकृति नहीं
  • मूल्यांकन रिपोर्ट नहीं
  • न ही कार्य सूचना बोर्ड लगाया गया

इसके बावजूद सरपंच-सचिव की मिलीभगत से ठेकेदार धड़ल्ले से निर्माण करा रहा है।

घटिया सामग्री, मानकों की अनदेखी
ग्रामीणों का कहना है कि नाली निर्माण में मानक के अनुसार सरिया का उपयोग नहीं किया गया, सीमेंट की मात्रा जानबूझकर कम उपयोग की गई, और जहां 1.5 मीटर खुदाई आवश्यक है, वहां सिर्फ 1 मीटर खुदाई कर काम निपटाया जा रहा है। ग्रामीणों का साफ कहना है कि 'यह नाली पहली बारिश भी नहीं झेल पाएगी।'

सरपंच-सचिव बने ‘इंजीनियर’
विडंबना यह है कि ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव ने न तो लेआउट बनवाना जरूरी समझा और न ही विभागीय अनुमति ली। खुद ही ठेकेदार के साथ मिलकर इंजीनियर की भूमिका निभाते हुए निर्माण शुरू करा दिया गया, ताकि जल्द से जल्द राशि निकालकर लेप्स कराई जा सके।


आरईएस विभाग ने झाड़ा पल्ला
मामले में आरईएस विभाग के एसडीओ चंद्रभान सिंह ने साफ कहा कि, 'हमारे विभाग से न तो इस कार्य का कोई लेआउट स्वीकृत है, न किसी इंजीनियर की तैनाती की गई है और न ही हमें इस निर्माण की कोई जानकारी है।' इस बयान के बाद सवाल और गहरा गया है कि बिना विभागीय जानकारी यह निर्माण आखिर किसके संरक्षण में चल रहा है?

पहले भी लग चुके हैं आरोप
बताया जा रहा है कि इसी पंचायत में पहले भी प्रधानमंत्री आवास योजना में उगाही और दलाली के आरोप लग चुके हैं। कोरवा जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में भोले-भाले ग्रामीणों को गुमराह कर योजनाओं की राशि हड़पने की चर्चाएं लंबे समय से चल रही हैं, जिनका अब तक खुलासा नहीं हो पाया है।

ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से की यह मांगे-

  • नाली निर्माण तत्काल रोका जाए
  • स्वतंत्र तकनीकी एजेंसी से जांच कराई जाए
  • सरिया व सीमेंट की लैब जांच हो
  • सरपंच, सचिव व संबंधित अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच कर कड़ी कार्रवाई

बड़ा सवाल
अब सवाल यह है कि सीतापुर विधानसभा के इस पहुंच-विहीन इलाके में चल रहे इस खुले भ्रष्टाचार पर प्रशासन कब तक आंख मूंदे रहेगा?

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