सुकमा पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू: बोले- बस्तर की धरती अब विकास और समृद्धि की नई कहानियाँ लिख रही है

सुकमा पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू : बोले- बस्तर की धरती अब विकास और समृद्धि की नई कहानियाँ लिख रही है
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मंच पर बैठे केंद्रीय मंत्री 

केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू सोमवार को सुकमा में 'नक्सल मुक्त भारत : समृद्धि और एकता की राह' विषय पर आयोजित वार्तालाप (कार्यशाला) में शामिल हुए।

लीलाधर राठी- सुकमा। केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू सोमवार को सुकमा में 'नक्सल मुक्त भारत : समृद्धि और एकता की राह' विषय पर आयोजित वार्तालाप (कार्यशाला) में शामिल हुए। जहां उन्होंने कहा कि, बस्तर की धरती, जो कभी नक्सल हिंसा की पहचान थी, अब विकास और समृद्धि की नई कहानियाँ लिख रही है। गाँव-गाँव में पक्की सड़कें, स्वच्छता और शिक्षा की पहुँच बढ़ रही है, महिलाएँ उज्ज्वला योजना से धुएँ से मुक्ति पा रही हैं और हर गरीब परिवार तक पक्के मकान का सपना साकार हो रहा है। यही बदले हुए हालात अब नये भारत की तस्वीर गढ़ रहे हैं।

पत्र सूचना कार्यालय, रायपुर, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सुकमा में 'नक्सल मुक्त भारत : समृद्धि और एकता की राह' विषय पर आयोजित वार्तालाप (कार्यशाला) में श्री साहू ने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त करना है। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद केवल कानून-व्यवस्था की चुनौती नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और विकास की कमी से जुड़ा हुआ विषय है। इसी दृष्टि से सरकार ने 'पुनर्वास और आत्मसमर्पण नीति 2025' लागू की है, जिसके तहत हिंसा का रास्ता छोड़ने वालों को आर्थिक सहायता, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा से जोड़ा जा रहा है।

विकास और सुरक्षा का संयुक्त मॉडल
श्री साहू ने कहा कि यह केवल सुरक्षा का नहीं, बल्कि समग्र विकास का दूरदर्शी मॉडल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश तेज़ गति से सतत और समग्र विकास की दिशा में बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना से हर गरीब को पक्का मकान, स्वच्छ भारत अभियान से हर गाँव को साफ-सफाई और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से माताओं-बहनों को धुएँ से मुक्ति मिल रही है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लिया गया नक्सल मुक्त भारत का संकल्प केवल घोषणा नहीं, बल्कि ठोस रणनीति और निरंतर कार्रवाई का हिस्सा है। बस्तर सहित प्रभावित क्षेत्रों में अधिक से अधिक कैंप स्थापित किए जा रहे हैं ताकि सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएँ सीधे ग्रामीणों तक पहुँचे।

नक्सलियों ने लंबे समय तक किया विकास को बाधित- सांसद कश्यप
इस अवसर पर बस्तर के सांसद महेश कश्यप ने कहा कि नक्सलवाद ने लंबे समय तक क्षेत्र के विकास को बाधित किया, लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने दुर्गम गाँवों को जोड़कर शिक्षा, स्वास्थ्य और बाज़ार तक पहुँच आसान बना दी है। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों की कड़ी कार्रवाई से नक्सली संगठन बिखर रहे हैं और आने वाले समय में बस्तर भय और हिंसा की नहीं, बल्कि शांति, प्रगति और आत्मनिर्भरता की पहचान बनेगा।

धरती आबा अभियान से आदिवासी गाँवों में नई ऊर्जा
श्री कश्यप ने बताया कि सरकार गाँव-गाँव तक बुनियादी सुविधाओं के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी, कौशल विकास और आधुनिक कृषि तकनीक पहुँचाने पर काम कर रही है। हाल ही में शुरू 'धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान' लगभग 80,000 करोड़ रुपये की लागत से 63,000 जनजातीय गाँवों का समग्र विकास सुनिश्चित करेगा और पाँच करोड़ से अधिक आदिवासी भाई-बहनों को सीधा लाभ पहुँचाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने पत्रकारों से किया संवाद और सुझावों पर दिया आश्वासन
कार्यक्रम के दौरान मंत्री तोखन साहू ने उपस्थित पत्रकारों से संवाद भी किया। उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज की आवाज़ और जनता की नब्ज़ समझने का माध्यम हैं, इसलिए उनके सवाल और सुझाव सरकार की नीतियों और योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। श्री साहू ने आश्वासन दिया कि कार्यक्रम में उठाए गए मुद्दों और सुझावों को गंभीरता से केंद्र सरकार तक पहुँचाया जाएगा। उन्होंने पत्रकारों से आग्रह किया कि वे सरकार की विकास योजनाओं और सकारात्मक बदलावों की जानकारी आम जनता तक अधिक से अधिक पहुँचाएँ, ताकि लोग उनका लाभ उठा सकें और नई पीढ़ी को हिंसा के रास्ते से दूर रखकर शिक्षा, विकास और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया जा सके।

सुकमा में बदलते हालात
कभी नक्सल हिंसा के गढ़ के रूप में पहचाने जाने वाले सुकमा में अब विकास और शांति की नई इबारत लिखी जा रही है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं, मज़बूत सुरक्षा तंत्र और जनता की बढ़ती भागीदारी ने जिले को बदलते दौर की ओर अग्रसर कर दिया है। इसी क्रम में पत्र सूचना कार्यालय, रायपुर, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा “नक्सल मुक्त भारत: समृद्धि और एकता की राह” विषय पर आयोजित वार्तालाप (कार्यशाला) में प्रशासन, पंचायत और पुलिस अधिकारियों ने सुकमा के बदलते परिदृश्य को साझा किया।

सुकमा तेज़ी से विकास और शांति की दिशा में बढ़ रहा- कलेक्टर
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी देवेश कुमार ध्रुव ने कहा कि सुकमा आज तेज़ी से विकास और शांति की दिशा में बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बेघर परिवारों को पक्के मकान मिल रहे हैं, जबकि मनरेगा और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से रोज़गार और आजीविका के नए अवसर पैदा हुए हैं। महिलाओं को स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से गाँव-गाँव में स्वच्छता की नई परंपराएँ स्थापित हुई हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ ग्रामीणों की पहुँच में आई हैं और पुनर्वास केंद्रों के ज़रिए आत्मसमर्पित नक्सलियों को सम्मानजनक जीवन मिल रहा है।

अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रहा योजनाओं का लाभ- मुख्य कार्यपालन अधिकारी
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मुकुंद ठाकुर ने बताया कि योजनाओं का लाभ अब अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत 34,849 परिवारों को आवास स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 13,776 का निर्माण पूरा हो चुका है। विशेष श्रेणी में आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल पीड़ित परिवारों को भी घर उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत इस वर्ष अब तक 4.11 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है और 92,000 से अधिक श्रमिकों को रोज़गार मिला है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 2,747 स्व-सहायता समूह गठित कर 28,829 परिवारों को जोड़ा गया है। सिलाई, डेयरी और शहद उत्पादन जैसी गतिविधियों से महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। श्री ठाकुर ने आगे कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत हजारों परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं नक्सल पुनर्वास केंद्रों में अब तक 127 आत्मसमर्पित नक्सलियों को कृषि, उद्यमिता और तकनीकी प्रशिक्षण देकर मुख्यधारा से जोड़ा गया है। उनका कहना था कि लक्ष्य केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि जनता की सक्रिय भागीदारी से आत्मनिर्भर और समृद्ध सुकमा का निर्माण है।

नक्सलवाद खत्म कर लोगों तक पहुंचा रहे बुनियादी सुविधाएं- एसपी
पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने कहा कि नक्सलवाद ने लंबे समय तक निर्दोष लोगों और जवानों की बलि ली है, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से गाँव-गाँव में कैंप स्थापित किए जा रहे हैं। जिससे सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाएँ सीधे लोगों तक पहुँच रही हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के अंत के लिए सुरक्षा और एकता सबसे अहम आधार हैं। जनता का भरोसा सुरक्षा बलों पर बढ़ा है और लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि 2026 तक न केवल सुकमा बल्कि पूरा बस्तर और भारत नक्सलवाद से मुक्त होगा।

2026 तक खत्म होगा नक्सलवाद
कार्यक्रम के अंत में यह संदेश उभरकर सामने आया कि सुकमा और बस्तर अब भय और पिछड़ेपन की पहचान नहीं, बल्कि शांति, समृद्धि और विकास की नई तस्वीर बन रहे हैं। प्रशासन, पुलिस और जनता के संयुक्त प्रयासों से 2026 तक नक्सलवाद के पूर्ण अंत का लक्ष्य केवल घोषणा नहीं, बल्कि साकार होती हक़ीक़त है।

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