तुंगल बांध इको-टूरिज्म स्थल का नया स्वरूप: मंत्री केदार कश्यप की पहल पर वन विभाग ने शांति- विकास और पर्यटन को दी नई पहचान

तुंगल बांध इको-टूरिज्म स्थल का नया स्वरूप : मंत्री केदार कश्यप की पहल पर वन विभाग ने शांति- विकास और पर्यटन को दी नई पहचान
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तुंगल बांध

सुकमा के तुंगल बांध को इको-टूरिज्म स्थल, आधुनिक सुविधाओं, मनोरंजक गतिविधियों और पारिवारिक वातावरण के साथ विकसित एवं नवीनीकृत किया गया है।

लीलाधर राठी- सुकमा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित रहे क्षेत्रों में अब सकारात्मक परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। इसी बदलाव का सशक्त उदाहरण बनकर उभरा है तुंगल बांध इको-टूरिज्म स्थल, जिसे वन विभाग द्वारा विकसित एवं नवीनीकृत किया गया है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण यह स्थल अब आधुनिक सुविधाओं, मनोरंजक गतिविधियों और पारिवारिक वातावरण के साथ सुकमा जिले के लोगों के लिए आकर्षण का नया केंद्र बन गया है।

वन विभाग की पहल से पर्यटन को मिला नया आयाम
वन मंत्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में वन विभाग द्वारा योजनाबद्ध तरीके से विकसित इस इको-टूरिज्म स्थल का उद्देश्य न केवल पर्यटन को बढ़ावा देना है। बल्कि, स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ना, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और क्षेत्र में शांति एवं विश्वास का माहौल मजबूत करना भी है।


बोटिंग की नई शुरुआत
नवीनीकरण के पश्चात तुंगल बांध में बोटिंग गतिविधियों की शुरुआत की गई है। पर्यटकों के लिए कयाकिंग, बांस राफ्टिंग तथा पैडल बोट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। शांत जलाशय और चारों ओर फैली हरियाली के बीच ये गतिविधियां रोमांच के साथ-साथ प्रकृति के निकट समय बिताने का अवसर भी प्रदान करती हैं।

परिवारों के लिए सुंदर लॉन और बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक साइन बोर्ड
इको-टूरिज्म स्थल में वन विभाग द्वारा परिवारों के लिए सुव्यवस्थित और हरे-भरे लॉन विकसित किए गए हैं, जहां लोग बच्चों और बुजुर्गों के साथ बैठकर पिकनिक का आनंद ले सकते हैं। साथ ही बच्चों के लिए वन्यजीवों से संबंधित जानकारी देने वाले आकर्षक एवं ज्ञानवर्धक साइन बोर्ड लगाए गए हैं, जिनमें स्थानीय वन्यजीव, पक्षी प्रजातियां और जैव विविधता की सरल एवं रोचक जानकारी दी गई है। इससे बच्चों में प्रकृति संरक्षण के प्रति रुचि और संवेदनशीलता विकसित होगी।


'तुंगल नेचर कैफे' से मिलेगा स्थानीय स्वाद
पर्यटकों की सुविधा और स्थानीय आजीविका को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यहां शीघ्र ही तुंगल नेचर कैफे की शुरुआत की जा रही है। इस कैफे में स्थानीय व्यंजन और पेय पदार्थ उपलब्ध होंगे। जिससे पर्यटक बस्तर की संस्कृति और स्वाद का अनुभव कर सकेंगे।

स्वयं सहायता समूहों को सौंपी गई जिम्मेदारी
इस इको-टूरिज्म स्थल का संचालन आत्मसमर्पित एवं नक्सल प्रभावित परिवारों से गठित स्वयं सहायता समूहों (SHG) को सौंपा गया है। यह पहल सामाजिक पुनर्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है तथा यह दर्शाती है कि क्षेत्र में नक्सलवाद अब अंतिम सांसें गिन रहा है।

धारणा में बदलाव और शांति का संदेश
वन विभाग की इस पहल से आम नागरिकों की सोच में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। जो क्षेत्र कभी भय और असुरक्षा से जुड़ा माना जाता था। वही आज शांति, विकास और पर्यटन का प्रतीक बनता जा रहा है।


रुकने की सुविधाएं और एडवेंचर स्पोर्ट्स
भविष्य में तुंगल बांध क्षेत्र में ठहराव सुविधाएं (स्टे फैसिलिटी) विकसित करने तथा एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने की योजना है। इससे सुकमा के नागरिकों को पर्यटन के लिए अन्य स्थानों पर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और जिले में ही उच्च स्तरीय पर्यटन सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

सुकमा की बदलती पहचान
वन विभाग द्वारा विकसित तुंगल बांध इको-टूरिज्म स्थल सुकमा जिले की बदलती पहचान का प्रतीक बन चुका है। जहां अब भय की जगह विश्वास और हिंसा की जगह विकास ने ले ली है। यह पहल सुकमा को पर्यटन मानचित्र पर एक नई और सकारात्मक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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