भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पैदल मार्च: 13 गांवों के किसानों ने तहसील कार्यालय में दिया धरना, SDM को सौंपा ज्ञापन

किसानों का तहसील कार्यालय में विरोध प्रदर्शन
विश्वनाथ द्विवेदी- सुहेला। छत्तीसगढ़ के सुहेला में गतिशील मल्टी मॉडल कार्गो टर्मिनल परियोजना के लिए प्रस्तावित रेलवे कॉरिडोर के खिलाफ किसानों का गुस्सा उभरकर सामने आया है। धोधा से लेकर खपराडीह तक प्रभावित करीब 13 गांवों के किसानों ने तहसील कार्यालय सुहेला में विशेष विरोध प्रदर्शन किया।
सुबह ग्राम नवापारा से सैकड़ों किसान हाथों में बैनर, तख्तियां और नारों के साथ 7 किलोमीटर लंबा पैदल मार्च करते हुए तहसील कार्यालय पहुँचे। किसानों का साफ संदेश है कि, बिना सहमति और सम्पूर्ण मुआवजे के एक इंच जमीन नहीं देंगे।
सर्वे त्रुटिपूर्ण, गांव तीन हिस्सों में बंट जाएंगे
किसानों ने बताया कि, प्रस्तावित ट्रैक कई गांवों की मुख्य बस्तियों को काटते हुए आंगनबाड़ी, पशु चिकित्सालय, खेल मैदान, तालाब और यहां तक कि स्कूल तक को प्रभावित करेगा। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि रेलवे लाइन गुजरने से गांव तीन-तीन हिस्सों में विभाजित हो जाएंगे और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।
सुहेला में गतिशील मल्टी मॉडल कार्गो टर्मिनल परियोजना के लिए प्रस्तावित रेलवे कॉरिडोर के खिलाफ किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया. @BalodaBazarDist #Chhattisgarh pic.twitter.com/IIXQoeCMFm
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केवल ट्रैक नहीं, पूरी प्रभावित भूमि खरीदी जाए
किसानों का कहना है कि सिर्फ ट्रैक के नीचे की जमीन खरीद लेना उचित नहीं है। ट्रैक के दोनों ओर की जमीन खेती योग्य नहीं बचेगी, सिंचाई और पहुंच मार्ग बाधित होंगे, जिससे कृषि उत्पादन सीधे प्रभावित होगा।
किसानों की 4 प्रमुख सार्वजनिक मांगें-
रेलवे सर्वेक्षण दोबारा कराया जाए।
अल्ट्राटेक ट्रैक के समानांतर ही नई लाइन निकाली जाए ताकि नया अधिग्रहण न हो।
परियोजना प्रबंधन सीधे किसानों से संवाद करे।
सिर्फ आंशिक नहीं, पूर्ण प्रभावित क्षेत्र की सभी जमीन खरीदी जाए।
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एसडीएम को सौंपा गया 8 सूत्रीय ज्ञापन
धरना स्थल पर किसानों ने एसडीएम अतुल सेठ से फोन पर बात कर आठ बिंदुओं वाला ज्ञापन सौंपा, जिसमें पारदर्शी सर्वे, पूर्ण मुआवजा, सामुदायिक संसाधनों की सुरक्षा और वैकल्पिक मार्ग व्यवस्था जैसी मांगें शामिल हैं। चेतावनी यह है कि, परिवार सहित सड़क पर उतर जाएंगे। किसानों ने साफ कहा है कि, अगर बात नहीं सुनी गई, तो हम परिवार सहित सड़क पर डेरा डालेंगे और अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे।
आपत्तियों को उच्च अधिकारियों तक भेजा जाएगा
एसडीएम अतुल शेटे ने ज्ञापन प्राप्त होने की पुष्टि की और कहा कि, किसानों की आपत्तियों को शीघ्र उच्च अधिकारियों तक भेजा जाएगा। यह विरोध मुआवजे के साथ गांवों की संरचना, खेतों की सुरक्षा और आजीविका बचाने की लड़ाई बताया जा रहा है।
