घटा छात्रों का रूझान: 11 सालों में पहली बार टेट की अनिवार्यता ने खाली कर दी बीएड की 5300 सीटें

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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 25 वर्षों में दूसरी बार बीएड सीटें रिक्त रहने की कगार पर हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद बीएड, डीएलएड तथ बीए-बीएड व बीएससी-बीएड के लिए काउंसिलिंग आयोजित कर रहा है। मौजूदा शैक्षणिक सत्र के पूर्व 2014 में यह स्थिति निर्मित हुई थी जब सर्वाधिक मांग वाली बीएड की सीटें खाली रह गईं थीं। इस साल अभी प्रथम चरण की तीसरी सूची एससीईआरटी ने जारी कर दी है। इसके मुताबिक प्रदेश में बीएड की 5300 सीटें रिक्त रह गई हैं, जो कुल सीटों का 36.43 प्रतिशत है।
अभी दूसरे चरण की प्रक्रिया बाकी है, पर पहले चरण के आंकड़ों को देखते हुए इसमें भी सीटें भरने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है। बीएड के प्रति अरुचि के कई कारण हैं। पहले चरण की काउंसिलिंग में विशेष बात यह रही कि इंजीनियरिंग महाविद्यालयों का पैटर्न बीएड महाविद्यालयों में नजर आया। अर्थात शासकीय महाविद्यालयों की सीटें शुरुआत में ही भर गई, लेकिन कई निजी महाविद्यालयों में संख्या 20-22 छात्र पर ही आकर अटक गई। निजी महाविद्यालयों की 400 सीटें ऐसी भी रही हैं, जिसे विकल्प के रूप में छात्रों ने पंजीयन के दौरान चुना ही नहीं।
2014 में दो वर्षीय हुआ था पाठ्यक्रम
आंकड़ों और एससीईआरटी सूत्रों के अनुसार, शिक्षक की नौकरी युवाओं के लिए प्राथमिकता सूची में रही है। इस कारण शिक्षा पाठ्यक्रमों में छात्रों की दिलचस्पी देखने को मिलती रही है। बीएड में दाखिला स्नातक के बाद ही ले सकते हैं। 2014 के पूर्व यह एक वर्षीय पाठ्यक्रम था। 2014 में इसे दो वर्षीय कर दिया गया। उस वर्ष भी बीएड महविद्यालय छात्रों के लिए तरस गए थे। प्रदेश में बीएड की 30 प्रतिशत सीटें रिक्त रह गई थीं। हालांकि 2015 से स्थिति सामान्य हो गई। डीएलएड की सीटें भी प्रथम चरण में नहीं भर सकी हैं, लेकिन इन पाठ्यक्रमों के लिए छात्रों का रूझान दिख रहा है तथा पूछताछ व पंजीयन जारी है। डीएलएड सीटें अंतिम राउंड तक भरने का ट्रेंड रहा है। इसलिए इनमें दाखिला होने की उम्मीद महाविद्यालयों को है।
पाठ्यक्रम | कुल सीट | रिक्त सीट |
बीएड | 14,500 | 5300 |
डीएलएड | 6,610 | 2,233 |
बीए, बीएड | 150 | 47 |
बीएससी, बीएड | 100 | 50 |
ये हैं तीन मुख्य कारण
निजी शिक्षा महाविद्यालय संघ के संयोजक राजीव गुप्ता के अनुसार, बीते एक दशक अर्थात 2015 से 2025 में ऐसा पहली बार हो रहा है जब बीएड पाठ्यक्रम के लिए छात्र नहीं मिल रहे हैं। कई निजी महाविद्यालय इस बात से चिंतित हैं कि यदि उन्हें छात्र नहीं मिले तो प्राध्यापकों को वेतन कैसे प्रदान करेंगे? उनके मुताबिक तीन मुख्य कारणों के चलते यह स्थिति निर्मित हुई है।
1) बीते दिनों कोर्ट ने आदेश जारी कर माध्यमिक, हाईस्कूल व हायरसेकंडरी कक्षा में अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षकों के लिए टेट अर्थात शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य कर दी है। शिक्षक बनने अब बीएड के साथ व्यापम द्वारा आयोजित टेट क्लियर करना जरूरी है। प्राथमिक कक्षाओं के लिए डीएलएड पर्याप्त है। इसलिए भी छात्र बीएड के स्थान पर डीएलएड को प्राथमिकता दे रहे हैं।
2) विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण वर्तमान सत्र में किया गया। शिक्षकों के कई पद समायोजित हुए हैं। नई वैकेंसी भी नहीं निकल रही है। इस कारण रुझान घटा है।
3) ऑन रिकॉर्ड बीएड पाठ्यक्रम का शुल्क 60 हजार रुपए निर्धारित है। लेकिन गत वर्षों में यह आम शिकायत रही है कि अधिकतर निजी कॉलेज 2 लाख रुपए तक फीस ले रहे हैं। इस कारण भी छात्र शासकीय महाविद्यालयों में सीट मिलने पर ही प्रवेश ले रहे हैं अन्यथा नहीं।
