हड़ताल अवैध, धान खरीदी 15 से ही: सरकार अब दूसरे विभाग के कर्मचारियों को करेगी तैनात

हड़ताल अवैध, धान खरीदी 15 से ही : सरकार अब दूसरे विभाग के कर्मचारियों को करेगी तैनात
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File Photo 

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी करने वाली सहकारी सोसाइटियों के प्रबंधक, धान खरीदी प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटरों की हड़ताल को राज्य सरकार ने अवैधानिक घोषित कर दिया है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी करने वाली सहकारी सोसाइटियों के प्रबंधक, धान खरीदी प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटरों की हड़ताल को राज्य सरकार ने अवैधानिक घोषित कर दिया है। इसके साथ ही दूसरे विभागों के अफसर कर्मियों को खरीदी के काम में लगाया जा रहा है। सरकार का ये दावा भी है कि खरीदी की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, 15 नवंबर से धान खरीदी की जाएगी। राज्य में सहकारी सोसाइटी कर्मियों की हड़ताल 3 नवंबर से लगातार जारी है। हड़ताल के कारण धान खरीदी की तैयारियों की व्यवस्था प्रभावित हुई है, लेकिन सरकार ने संकट से निपटने की तैयारी भी कर ली है। अन्य विभागों के अधिकारी कर्मचारियों को तैनात किया जा रहा है।

कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष पर एफआईआर, विरोध तेज
समितियों के संगठन के प्रदेश अध्यक्ष और धमतरी की छाती सोसाइटी के प्रबंधक नरेंद्र साहू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले को लेकर आंदोलनकारियों में आक्रोश है। इसे लेकर उप पंजीयक धमतरी के खिलाफ महासंघ ने धरना प्रदर्शन किया है। इन लोगों ने विरोध में पैदल मार्च कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और एफआईआर करवाने वाले अधिकारी को निलंबित करने की मांग की है। हड़तालियों की ओर से कहा जा रहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो रायपुर धमतरी राष्ट्रीय राजमार्ग में चक्का जाम किया जाएगा और परिवार सहित जेल भरो आंदोलन करेंगे।

कर्मियों को बर्खास्त करने का आदेश
इधर, हड़ताली कर्मियों को सेवा से बाहर करने का आदेश भी जारी किया गया है। आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित (समस्त) जिला बलरामपुर-रामानुजगंज द्वारा प्राधिकृत अधिकारी को यह आदेश भेजा गया है। आदेश में कहा गया है कि सहकारी समिति में कार्यरत समस्त कर्मचारियों द्वारा 3 नवंबर से हड़ताल पर चले जाने के कारण समिति कार्यालय पूरी तरह बंद हैं, जिसके कारण कृषकों को रबी ऋण, खाद, बीज वितरण, पैक्स कम्प्यूटराइजेशन, अंकेक्षण तथा आगामी धान खरीदी की तैयारी जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शासन के निर्देशानुसार 13 नवंबर से डमी धान खरीदी एवं 15 नवंबर से धान खरीदी कार्य किया जाना है। प्राधिकृत अधिकारी को इस आदेश के माध्यम से कहा गया है कि 13 नवंबर को सायं 3 बजे तक समिति के समस्त कर्मचारियों को कार्य पर उपस्थित होने के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया जाये, अनुपस्थिति की स्थिति में प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसाइटी के लिए सेवा नियम 2018 के तहत सेवा समाप्ति की कार्यवाही सुनिश्चित की जावे। यह आदेश एसके पैकरा सहायक आयुक्त सहकारिता बलरामपुर ने जारी किया है।

सरकार ने जारी किया ये आदेश
इस पूरे मामले को लेकर राज्य शासन के सहकारिता विभाग ने राज्य के सभी संभागायुक्तों और कलेक्टरों के लिए आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि धान उपार्जन नीति वर्ष 2025-26 के तहत 15 नवंबर 2025 से प्रदेश में धान उपार्जन प्रारंभ किया जाना है। वर्तमान में समिति कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं, जिसके कारण समितियों में निर्धारित तिथि में धान खरीदी प्रारंभ किए जाने में कठिनाई उत्पन्न होने की संभावना है। इसीलिए धान उपार्जन का कार्य सुचारू रूप से संचालित किए जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत समिति कर्मचारियों के स्थान पर सुविधा अनुसार सहकारिता विभाग के वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक, सहकारी निरीक्षक, सहकारिता विस्तार अधिकारी के अतिरिक्त अन्य विभागों जैसे राजस्व द्वारा कृषि विभाग आदि के साथ ही जिले में उपलब्ध अन्य विभाग के कर्मचारियों को समिति प्रबंधक का प्रभार सौंप कर धान उपार्जन को कार्य कराया जा सकता है। यह आदेश सहकारिता विभाग के सचिव ने जारी किया है।

धान खरीदी पर उदासीनता, किसानों के साथ छलावा : धनेन्द्र
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ किसान नेता धनेन्द्र साहू ने राज्य शासन पर धान खरीदी को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार का रवैया यह दर्शाता है कि उसमें किसानों से धान खरीदने की इच्छा ही नहीं है। प्रदेश के सभी धान खरीदी केंद्रों में तैयारी के नाम पर शून्यता है। न कहीं साफ-सफाई हुई है, न बिजली की समुचित व्यवस्था है, न बारदाना और न ही कांटे की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। सभी धान खरीदी केंद्रों के दरवाजों पर आज भी ताले लटक रहे हैं।

अब तक जारी नहीं हुए टोकन
धनेंद्र साहू ने ये भी कहा है कि, हर वर्ष धान खरीदी से पहले किसानों को ऑनलाइन टोकन जारी करने की प्रक्रिया प्रारंभकर दी जाती थी, लेकिन इस वर्ष अब तक टोकन जारी करने वाला पोर्टल ही बंद है। वहीं, लाखों किसानों का एग्रीस्टेक पंजीयन बार-बार तारीख बढ़ाने के बावजूद अधूरा है, जिससे किसान बेहद परेशान हैं।

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