सरिया के दाम 50 हजार से कम: तीन साल पहले 80 हजार थी कीमत

सरिया के दाम 50 हजार से कम : तीन साल पहले 80 हजार थी कीमत
X

File Photo 

सरिया की डिमांड न होने के कारण प्रदेश में सरिया के दाम निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। 6 साल बाद इस समय सरिया के दाम 50 हजार से भी कम हो गए हैं।

रायपुर। सरिया की डिमांड न होने के कारण प्रदेश में सरिया के दाम निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। 6 साल बाद इस समय सरिया के दाम 50 हजार से भी कम हो गए हैं। इसके पहले 2019 में सरिया के दाम 50 हजार के आसपास थे। तीन साल पहले तो इतिहास में पहली बार सरिया के दाम 80 रुपए टन तक गए थे। उसके बाद दाम कम हुए, पर इतने ज्यादा कम नहीं हुए। ज्यादातर समय सरिया के दाम 60 हजार के आसपास रहे हैं, पर अब दाम कम हो गए हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि बाहर से राज्यों से डिमांड कम आ रही है।

इसकी वजह से प्रदेश के उत्पादकों ने उत्पादन भी कम कर दिया है। प्रदेश में इस समय सरिया की बेसिक कीमत 34500 रुपए है। इसमें पांच से साढ़े छह हजार रुपए एमएम के हिसाब से अंतर के जुड़ते हैं। ऐसे में 12, 16, 20 और 25 एमएम के सरिया के दाम 39500 हजार रुपए हैं। इसमें 18 फीसदी जीएसटी के 7110 रुपए जोड़कर दाम 46610 रुपए थोक में हैं। चिल्हर में दाम 48 हजार रुपए के करीब है। 8, 10 और 32 एमएमएम का सरिया थोक में 48 हजार और चिल्हर में 49 हजार रुपए टन है।

80 हजार के पार गए हैं दाम
सरिया के दाम इतिहास में पहली बार तीन साल पहले 2022 में 80 हजार के पार गए थे। 2021 से दाम बढ़ने का क्रम प्रारंभ हुआ था जो 2022 मार्च में 80 हजार के पार तक गया था। इसके बाद दाम कम होने प्रारंभ हुए और एक बाद दाम 55 हजार के करीब पहुंचे लेकिन फिर से दाम बढ़ने लगे। 2023 और 2024 में भी दाम 5 हजार से कम नहीं हुए, लेकिन अब दाम 55 हजार से कम होकर 50 हजार से भी कम हो गए हैं।

रोज 20 हजार टन का उत्पादन
प्रदेश में राज स्पंज आयरन और सरिया का करीब 20 हजार टन का उत्पादन होता है। सरिया का उत्पादन पूरी तरह से स्पंज आयरन पर निर्भर है। राजधानी रायपुर में ही रोज 12 से 13 हजार टन सरिया का उत्पादन होता है। पूरे प्रदेश में यह उत्पादन 20 हजार टन के आस-पास होता है। इस समय डिमांड कम होने के कारण स्पंज आयरन के साथ सरिया का उत्पादन भी 25 फीसदी तक कम हो गया है। यानी इस समय रोज 15 हजार टन के आस-पास ही सरिया बन रहा है। प्रदेश में बनने वाले सरिया की डिमांड दूसरे राज्यों में ज्यादा रहती है। दूसरे राज्यों में छत्तीसगढ़ से उत्पादन का 80 फीसदी सरिया जाता है। 20 फीसदी की खपत ही अपने राज्य में होती है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story